Maha Kumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ में लगाई आस्था की डुबकी, जाने आखिर क्यों हैं महाकुंभ इतना खास

Maha Kumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ संगम में आस्था की डुबकी लगाई। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मौजूद रहे। गंगा स्नान और पूजा-अर्चना के बाद प्रधानमंत्री सेक्टर 6 में बने स्टेट पवेलियन का अवलोकन करेंगे, जिसके बाद वे नेत्र कुंभ कार्यक्रम में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम उनके दौरे का मुख्य हिस्सा है। पीएम मोदी करीब ढाई घंटे तक संगम नगरी में रहेंगे और इस दौरान कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लेंगे। उनके आगमन को देखते हुए प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो।

Maha Kumbh 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वागत, सुरक्षा के इंतजाम

संगम नगरी पहुंचते ही पीएम मोदी ने हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। 54 दिनों में यह प्रधानमंत्री मोदी का महाकुंभ का दूसरा दौरा है। इससे पहले वे 13 दिसंबर को यहां आए थे।

प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए मेला क्षेत्र में सुरक्षा पहले से ज्यादा कड़ी कर दी गई है। संगम क्षेत्र में बड़ी संख्या में पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात किया गया है। स्थानीय पुलिस, एनएसजी कमांडो और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भीड़ नियंत्रण के लिए सक्रिय हैं। संगम क्षेत्र में ड्रोन से निगरानी की जा रही है, जिससे किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 10:05 बजे प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से वे सीधे अरैल घाट के लिए रवाना हुए। 10:45 बजे वे वहां पहुंचे और नाव के जरिए संगम नोज पहुंचे। सुबह 11 बजे उन्होंने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई और मां गंगा का आशीर्वाद लिया। स्नान के बाद वे सेक्टर 6 के स्टेट पवेलियन का अवलोकन करने पहुंचे, जिसके बाद नेत्र कुंभ कार्यक्रम में शामिल होंगे।

Maha Kumbh 2025 में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

Maha Kumbh 2025

इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र संगम में स्नान करने का अनुमान है। हर 12 साल बाद लगने वाले कुंभ में 144 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है, क्योंकि अब तक 12 कुंभ पूरे हो चुके हैं। इसी वजह से इसे महाकुंभ कहा जा रहा है और श्रद्धालुओं की संख्या पिछले सभी कुंभों से अधिक रहने की संभावना है।

श्रद्धालुओं की गिनती के लिए इस बार हाईटेक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। यूपी सरकार ने AI बेस्ड कैमरों की मदद से कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को ट्रैक करने की व्यवस्था की है। इसके अलावा, मेले में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है, ताकि सभी श्रद्धालु सुरक्षित रूप से गंगा स्नान और धार्मिक अनुष्ठान कर सकें।

महाकुंभ की भव्यता दुनिया भर में चर्चा का विषय

महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। विदेशों से भी श्रद्धालु इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए प्रयागराज आ रहे हैं।

भारत की सनातन संस्कृति और इसकी धार्मिक परंपराएं दुनिया भर के लोगों को आकर्षित कर रही हैं। यही वजह है कि इस बार महाकुंभ में कई देशों के पर्यटक और श्रद्धालु भी हिस्सा ले रहे हैं। अब तक 35 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।

बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों ने त्रिवेणी संगम में शाही स्नान कर मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु इस बार महाकुंभ में कल्पवास कर रहे हैं। कल्पवास का विशेष महत्व माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु पूरे महीने संगम तट पर रहकर साधना और भजन-कीर्तन करते हैं।

महाकुंभ का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व

महाकुंभ न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समाज के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाता है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

महाकुंभ में सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग एक साथ संगम में डुबकी लगाते हैं, जिससे यह आयोजन समानता और एकता का संदेश देता है। संत-महात्माओं की संगति, धार्मिक प्रवचन, और साधु-संतों के दर्शन इस मेले को और अधिक आध्यात्मिक बनाते हैं।

इसके अलावा, महाकुंभ में कई सामाजिक कार्य भी किए जाते हैं। इस बार के आयोजन में विशेष रूप से नेत्र कुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हजारों जरूरतमंदों को मुफ्त नेत्र चिकित्सा दी जाएगी। यह पहल समाज के उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी जो नेत्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

महाकुंभ की पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच 12 दिनों तक घमासान युद्ध हुआ। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों – प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक – पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।

  • जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तब कुंभ मेला प्रयागराज में लगता है।
  • जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं, तब नासिक में कुंभ आयोजित होता है।
  • जब गुरु सिंह राशि और सूर्य मेष राशि में होते हैं, तब उज्जैन में कुंभ मेला होता है।
  • जब सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।

महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रमाण है। यह आयोजन पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और आस्था से जोड़ने का एक माध्यम है।

इस भव्य आयोजन में शामिल होकर करोड़ों लोग आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कर रहे हैं और भारत की प्राचीन परंपराओं से जुड़ रहे हैं। महाकुंभ न केवल भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा है, बल्कि यह पूरे विश्व को शांति, एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है।

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