Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में दो साल की सबसे बड़ी तेजी, 15.26 अरब डॉलर बढ़ा

Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7 मार्च को समाप्त हफ्ते में 15.26 अरब डॉलर बढ़कर 653.96 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले दो सालों में किसी एक सप्ताह में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इससे पहले के हफ्ते में भंडार में 1.78 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के अनुसार, रुपये में उतार-चढ़ाव को संतुलित करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया गया, जिससे भंडार में कमी देखी गई थी। हालांकि, फरवरी के अंत में आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 10 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी डॉलर खरीदे, जिससे भंडार में यह बड़ा उछाल आया।

इसके अलावा, विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCA) में 13.99 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जो कुल भंडार के सबसे बड़े हिस्से का निर्माण करती है। सोने के भंडार में भी 1.05 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे यह 74 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार देश की आर्थिक स्थिरता और वित्तीय ताकत को दर्शाता है।

सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के ऐतिहासिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन वैश्विक बाजार में अस्थिरता और डॉलर के उतार-चढ़ाव के कारण इसमें कुछ गिरावट आई थी। आरबीआई समय-समय पर भंडार को संतुलित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है ताकि रुपये की स्थिरता बनी रहे।

आरबीआई का यह कदम कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है, बल्कि आयात भुगतान करने, विदेशी निवेशकों का विश्वास बनाए रखने और वित्तीय संकट के दौरान देश को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है

NCLAT ने NCLT चेन्नई पीठ के आदेश की जांच के दिए निर्देश

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) की चेन्नई पीठ द्वारा पारित 15 मार्च 2022 के एक आदेश को संदिग्ध मानते हुए उसकी जांच के निर्देश दिए हैं। NCLAT का कहना है कि जिस तरीके से यह आदेश पारित किया गया है, वह न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

NCLAT की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा और तकनीकी सदस्य जतींद्रनाथ स्वैन शामिल हैं, ने कहा कि NCLT के अध्यक्ष को इस मामले की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। उनका मानना है कि इस आदेश को पारित करने की प्रक्रिया में कई खामियां हो सकती हैं, जिससे इसकी वैधता पर संदेह पैदा होता है।

अपीलीय न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि NCLT के कामकाज की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि आम जनता और व्यावसायिक संस्थानों का न्याय प्रणाली पर भरोसा बना रहे। NCLAT ने NCLT अध्यक्ष से इस पूरे मामले को गंभीरता से लेने और उचित जांच सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है

ILO मीटिंग में भारत की अपील: द्विपक्षीय श्रम प्रवासन समझौतों को बढ़ावा दें

Foreign Exchange Reserves

स्विट्जरलैंड के जिनेवा में चल रही अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 353वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक में भारत ने प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और अधिकारों को मजबूत करने पर जोर दिया।

भारत सरकार की ओर से श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता दावरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में शामिल हुआ। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए द्विपक्षीय श्रम प्रवासन और सामाजिक सुरक्षा समझौतों को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि उन्हें बेहतर कामकाजी माहौल और अधिक अधिकार मिल सकें।

भारत ने यह भी बताया कि देश ने अपनी सामाजिक सुरक्षा कवरेज को 48.8% तक बढ़ा लिया है, जो वैश्विक औसत से 5% अधिक है। यह दर्शाता है कि भारत सामाजिक न्याय और श्रमिक अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है।

ILO की इस बैठक में जीवन निर्वाह मजदूरी, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के अधिकार, कई उद्योगों में श्रम सुधार और काम करने की स्थितियों में सुधार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। भारत ने यह साफ किया कि वह इन सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक कल्याण से जुड़े समझौतों को मजबूत करने के लिए तैयार है।

गौरतलब है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक भेजने वाले देशों में से एक है और इसे सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा प्रेषण (Remittance) प्राप्त होता है। ऐसे में प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और अधिकारों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय समझौतों को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है।

ILO की बैठक में भारत के इस दृष्टिकोण को सराहा गया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्रवासी श्रमिकों के कल्याण पर अधिक ध्यान देने का आग्रह किया गया। भारत ने यह भी कहा कि सरकार श्रमिक कल्याण को प्राथमिकता दे रही है और भविष्य में और भी नीतिगत सुधार किए जाएंगे, जिससे प्रवासी मजदूरों को अधिक लाभ मिल सके।

Foreign Exchange Reserves: Conclusion

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल की सबसे बड़ी बढ़ोतरी के साथ 653.96 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। NCLAT ने NCLT के एक आदेश की जांच के निर्देश दिए हैं, जिससे न्यायिक पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। वहीं, ILO की बैठक में भारत ने प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय समझौतों को बढ़ावा देने की अपील की है। यह सभी घटनाक्रम भारत की आर्थिक और श्रमिक नीतियों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।

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