Solar Paint Innovation: आज वर्ल्ड अर्थ डे है और इस मौके पर हम बात करेंगे कुछ ऐसे इनोवेशन की जो ना सिर्फ हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी को आसान बनाएंगे, बल्कि धरती को भी बचाएंगे। बढ़ती जनसंख्या, अंधाधुंध इंडस्ट्रियल ग्रोथ और ऊर्जा की लगातार बढ़ती मांग के बीच एक सवाल सबके सामने खड़ा है – क्या हम अपनी धरती को बचा पाएंगे? ग्लोबल वॉर्मिंग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और पर्यावरणविद लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर अभी नहीं संभले, तो बहुत देर हो जाएगी।
इसीलिए जरूरी है कि हम ऐसी टेक्नोलॉजी पर फोकस करें जो एनर्जी सेविंग और क्लीन एनर्जी पर काम करे। इस आर्टिकल में जानिए पांच ऐसे टेक्नोलॉजी इनोवेशन जो इस मिशन में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। ये टेक्नोलॉजीज हमारे चलने, बोलने, रहने, और यहां तक कि कचरे से भी बिजली बनाने की ताकत रखती हैं।
Table of Contents
5 अनोखे Solar Paint Innovation
1. शहरों के शोर से बन सकती है बिजली
आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस शोर से हम अक्सर परेशान हो जाते हैं, वही शोर अब बिजली में बदल सकता है। साउंड पॉल्यूशन से बिजली बनाने की कोशिशें दुनियाभर में हो रही हैं। ये टेक्नोलॉजी ‘पीजोइलेक्ट्रिक मैटेरियल्स’ पर काम करती है, यानी ऐसे मैटेरियल जो प्रेशर या वाइब्रेशन के कारण बिजली बना सकते हैं।
न्यूयॉर्क जैसे शहरों में जहां लगातार 70 डेसिबल का शोर बना रहता है, वहां इसे पावर सोर्स के रूप में देखा जा रहा है। साउंड-कैप्चर डिवाइस 100 डेसिबल की आवाज से लगभग 10-50 माइक्रोवाट प्रति वर्ग सेंटीमीटर बिजली बना सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के डीकिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने PAN नैनोफाइबर झिल्ली बनाई है, जो लो से मिड फ्रीक्वेंसी साउंड से एनर्जी बना सकती है। 3×4 सेमी की इस झिल्ली से 58 वोल्ट बिजली बनी जिससे 32 LED लाइट्स जल सकीं। वहीं फिलीपींस के 11वीं क्लास के स्टूडेंट्स ने ऐसी डिवाइस बनाई जिससे शोर की मदद से पावर बैंक चार्ज किया जा सकता है।
हालांकि अभी ये टेक्नोलॉजी बड़े स्केल पर बिजली बनाने में सक्षम नहीं है, लेकिन छोटे-छोटे डिवाइस, सेंसर या स्मार्ट एलईडी लाइट्स जैसे उपकरणों के लिए ये काफी promising साबित हो रही है।
2. शहरों की भीड़ बनेगी बिजली का सोर्स
अब सोचिए कि अगर आपके हर कदम से बिजली बनने लगे तो कैसा हो? जी हां, अब ऐसा संभव है। पीजोइलेक्ट्रिक स्मार्ट टाइल्स इस कॉन्सेप्ट पर काम करती हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति इन पर कदम रखता है, ये टाइल्स उस दबाव को एनर्जी में बदल देती हैं।
UK की कंपनी Pavegen ने लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर सबसे पहले ये टाइल्स इंस्टॉल की थीं। एक कदम से 7 वॉट बिजली बनती है और ये टाइल्स 10 लाख कदम तक चल सकती हैं। इन टाइल्स ने एयरपोर्ट की 10% डिस्प्ले लाइटिंग को पावर दिया था।
ओलंपिक 2012 के दौरान वेस्ट हैम स्टेशन पर इन टाइल्स से इतनी बिजली बनी थी कि एक घंटे में 10,000 फोन चार्ज हो सकते थे।
जापान के टोक्यो स्टेशन पर भी ऐसा एक्सपेरिमेंट किया गया, लेकिन यहां की आबादी की बॉडी वेट कम होने के कारण एनर्जी आउटपुट बहुत कम था, जिसकी वजह से ये प्रोजेक्ट सफल नहीं हो पाया।
3. तपते कंक्रीट की गर्मी से बनेगी बिजली
शहरों में ऊंची-ऊंची कंक्रीट की इमारतें दिन में सूरज की गर्मी सोखती हैं और रात को वातावरण में छोड़ देती हैं। इससे ‘अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट’ होता है, यानी शहरों का टेम्परेचर आस-पास के क्षेत्रों से ज्यादा हो जाता है। अब वैज्ञानिक इसी गर्मी को कैप्चर कर बिजली बनाने की तकनीक पर काम कर रहे हैं।
जापान की क्यूशू यूनिवर्सिटी ने एक थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (TEG) डिवाइस तैयार की है जो रूम टेम्परेचर पर बिजली बना सकती है। ये डिवाइस साउंड वाइब्रेशन और हीट दोनों से एनर्जी बना सकती है और इसका 1×1 मीटर पैनल 10-20 वॉट बिजली जेनरेट कर सकता है।
भारत में IIT मंडी ने भी एक ऐसा ही फ्लेक्सिबल TEG प्रोटोटाइप बनाया है जो इंसानी शरीर की गर्मी से स्मार्ट वॉच या ईयरबड जैसे गैजेट्स चार्ज कर सकता है।
4. मकानों पर लगाएं ऐसा पेंट जो बिजली बनाएगा
अब छतों पर सोलर पैनल लगाने की जगह आप अपने घर की दीवारों को ही बिजली बनाने वाली मशीन में बदल सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया की RMIT यूनिवर्सिटी ने 2017 में ऐसा सोलर पेंट डेवलप किया था जो हवा में मौजूद नमी को खींचता है और फिर सोलर एनर्जी की मदद से उससे हाइड्रोजन बनाता है।
इस हाइड्रोजन को फिर बिजली बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। खास बात ये है कि इस पेंट की लागत पारंपरिक सोलर पैनल्स से 40% कम है। इसे कहीं भी लगाया जा सकता है और ये घर के लुक को खराब भी नहीं करता।
5. ह्यूमन वेस्ट से बन सकती है बिजली
हम रोज़ इतना सारा गंदा पानी और कचरा फेंकते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इससे भी बिजली बनाई जा सकती है? माइक्रोबियल फ्यूल सेल्स (MFC) नाम की टेक्नोलॉजी इस मिशन में आगे है। इसमें बैक्टीरिया की मदद से ऑर्गेनिक वेस्ट से बिजली बनाई जाती है।
भारत हर साल लगभग 70 बिलियन लीटर सीवेज बनाता है। इस वेस्ट से MFC तकनीक के ज़रिए 0.3 से 0.5 वाट प्रति लीटर बिजली बनाई जा सकती है। इतना ही नहीं, इस प्रोसेस से पानी को भी साफ किया जा सकता है और उसके केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) को 70-90% तक कम किया जा सकता है।
अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रूस लोगन की लैब इस तकनीक पर 2004 से काम कर रही है। उन्होंने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो 1 लाख लोगों के वेस्ट से 51 किलोवाट बिजली बना सकता है।
Conclusion
ग्लोबल वॉर्मिंग और एनर्जी क्राइसिस से लड़ने के लिए अब हमें सिर्फ बड़े-बड़े पावर प्लांट्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अगर इन टेक्नोलॉजीज को सही तरीके से अपनाया जाए तो हर इंसान, हर कदम और हर दीवार भी बिजली बना सकती है। जरूरत है तो बस इन नवाचारों को सपोर्ट देने की और इन पर भरोसा करने की। धरती को बचाने की इस जंग में आपका एक छोटा कदम भी बड़ा बदलाव ला सकता है।
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