US Trade Deal Breaking: अमेरिका से डील करने वालों को चीन की धमकी – “जवाबी कार्रवाई के लिए रहें तैयार”

US Trade Deal Breaking: दुनिया की दो सबसे बड़ी ताक़तें – अमेरिका और चीन – एक बार फिर ट्रेड वॉर के चलते आमने-सामने हैं. इस बार मामला सिर्फ उनके बीच तक सीमित नहीं है. चीन ने अब उन सभी देशों को भी चेतावनी दे दी है, जो अमेरिका के साथ ट्रेड डील साइन कर रहे हैं. चीन का कहना है कि अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता करने वाले देशों को करारा जवाब मिलेगा. अगर कोई भी देश चीन को नजरअंदाज कर अमेरिका का साथ देता है, तो वो इस कदम की भारी कीमत चुका सकता है.

ये बयान चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री की तरफ से आया है, जो इस बात को लेकर काफी नाराज़ दिख रही है कि अमेरिका कैसे धीरे-धीरे दुनिया भर के देशों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहा है. चीन को डर है कि अगर ज़्यादा देश अमेरिका से व्यापार करने लगेंगे, तो उसका इंपोर्ट-एक्सपोर्ट बैलेंस बुरी तरह बिगड़ सकता है.

US Trade Deal Breaking अमेरिका की डील से क्यों भड़का चीन?

दरअसल, अमेरिका अपने व्यापारिक साझेदारों को चीन से हटाकर अपने खेमे में लाने की प्लानिंग में जुटा है. इसी के तहत अमेरिका उन देशों को टैरिफ में छूट दे रहा है जो उसके साथ ट्रेड डील साइन कर रहे हैं. इसका सीधा मतलब है – जिन देशों को पहले चीन के साथ व्यापार में फायदा हो रहा था, अब वही फायदा अमेरिका से मिलने लगेगा.

इससे चीन का नुकसान तो होगा ही, साथ ही उसकी ट्रेड पॉलिसी पर भी सवाल खड़े होंगे. चीन को लग रहा है कि अमेरिका इस पूरे खेल को रणनीति के तौर पर खेल रहा है ताकि चीन की इकोनॉमी को धीरे-धीरे कमजोर किया जा सके. यही वजह है कि चीन अब खुले तौर पर बाकी देशों को धमकी देने लगा है. उसका कहना है कि अगर कोई देश US के साथ ट्रेड डील करता है तो चीन की तरफ से कड़ी जवाबी कार्रवाई झेलने के लिए तैयार रहे.

NDTV की रिपोर्ट में क्या सामने आया?

NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर कड़ा रुख अपनाया था. उन्होंने चीन पर 145 प्रतिशत तक टैरिफ ठोक दिया था, ताकि चीन से आने वाले सामान महंगे हो जाएं और लोग दूसरे विकल्प तलाशें. ट्रंप का मकसद यही था कि अमेरिका की घरेलू इंडस्ट्री को बढ़ावा मिले.

इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 125 प्रतिशत तक टैरिफ लगा दिया था. दोनों देशों के बीच चल रही इस टैरिफ वॉर का असर सिर्फ उन दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दुनियाभर के ट्रेड पार्टनर्स पर भी इसका असर पड़ा. कई देशों को मजबूरी में चीन या अमेरिका में से किसी एक को चुनना पड़ा.

अब जब अमेरिका फिर से नए ट्रेड डील्स कर रहा है और छोटे-छोटे देशों को साथ जोड़ने में लगा है, तो चीन की चिंता और बढ़ गई है. उसे लग रहा है कि उसका पारंपरिक व्यापारिक दबदबा खत्म हो रहा है.

ट्रंप ने क्या कहा इस पर?

ट्रंप ने भी इस पूरे मसले पर बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा है कि अमेरिका की चीन से बातचीत अभी भी जारी है और उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच एक “अच्छी डील” हो सकती है. ट्रंप का ये बयान ऐसे समय आया है जब चीन लगातार अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहा है.

ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा,

“हां, हमारी चीन से बातचीत चल रही है. मुझे लगता है कि हम चीन के साथ एक अच्छी डील करने जा रहे हैं.”

इसका मतलब साफ है – अमेरिका अभी भी इस ट्रेड वॉर को बातचीत के जरिए हल करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह अपनी शर्तों पर. वहीं चीन अब ज़्यादा देशों के अमेरिका के पाले में जाने से घबरा गया है.

अमेरिका बनाम चीन: दुनिया को कितना नुकसान?

इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा असर छोटे देशों पर पड़ता है, जो अमेरिका और चीन दोनों के साथ व्यापार करते हैं. ऐसे देश अब दो पाटों के बीच फंस रहे हैं. अगर वो अमेरिका के साथ डील करते हैं तो चीन नाराज़ होता है, और अगर चीन का साथ देते हैं तो अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी उनका नुकसान कर सकती है.

विशेषज्ञों का मानना है कि ये ट्रेड वॉर लंबे समय तक चलता रहा, तो ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बनी रहेगी. दुनियाभर की कंपनियों को नई रणनीति बनानी पड़ेगी कि वो किस देश से व्यापार करें और किससे नहीं.

नतीजा क्या निकलेगा?

फिलहाल तो कोई सीधा हल नजर नहीं आ रहा. अमेरिका और चीन दोनों ही अपने-अपने हितों को लेकर अड़े हुए हैं. अमेरिका दुनिया के छोटे देशों को अपने खेमे में शामिल करना चाहता है, जबकि चीन इस पूरे खेल को अपने खिलाफ साजिश मान रहा है.

आने वाले दिनों में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका और चीन कोई समझौता करते हैं या ये ट्रेड वॉर और भड़कता है.

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