Share Market Next Week News: भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच महीनों से जारी बिकवाली आखिरकार थमती नजर आ रही है। मार्च में स्टॉक मार्केट के प्रमुख इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए, जिससे निवेशकों में थोड़ी राहत देखने को मिली। इस तेजी की वजह डॉलर के मुकाबले मजबूत होता रुपया, विदेशी निवेशकों की खरीदारी और अन्य आर्थिक ट्रिगर्स रहे। हालांकि, अगले हफ्ते बाजार की दिशा कई महत्वपूर्ण फैक्टर्स पर निर्भर करेगी, जिनमें अमेरिकी टैरिफ, विदेशी बाजारों के ट्रेंड और FIIs की सक्रियता शामिल है। इसके अलावा, सोमवार को ईद-उल-फितर के अवसर पर भारतीय बाजार बंद रहेंगे, जिससे हफ्ते की शुरुआत धीमी रह सकती है।
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अगले हफ्ते इन फैक्टर्स पर रहेगी नजर
ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका के अनुसार, 2 अप्रैल से लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ का असर ग्लोबल मार्केट में देखने को मिला है। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में आई कमजोरी का मुख्य कारण निवेशकों का अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड मीटिंग के नतीजों का इंतजार करना था।
इस टैरिफ का सीधा असर ऑटो और ऑटो एंसिलरी सेक्टर पर पड़ा है। खेमका के मुताबिक, इन सेक्टर्स में आगे भी दबाव रहने की संभावना है, क्योंकि 25% अमेरिकी टैरिफ के अलावा घरेलू डिमांड में भी कमजोरी देखी जा रही है। हालांकि, मार्च में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 6300 करोड़ रुपये की खरीदारी की, जिससे घरेलू सेंटीमेंट थोड़ा मजबूत हुआ। लेकिन निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि बाजार अभी भी अमेरिका और भारत के बीच चल रही ट्रेड वार्ता को बारीकी से ट्रैक कर रहा है। ऐसे में अगले हफ्ते बाजार में कंसोलिडेशन मोड बरकरार रह सकता है।
विदेशी बाजारों का असर
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के प्रशांत तपासे का कहना है कि निवेशकों की नजर 2 अप्रैल को डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित किए जाने वाले टैरिफ पर रहेगी। इसके अलावा, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर्स के लिए PMI (Purchasing Managers’ Index) जैसे व्यापक आर्थिक आंकड़ों का भी इंतजार किया जा रहा है। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के अजीत मिश्रा ने बताया कि हफ्ते में कम कारोबारी सत्रों के चलते ग्लोबल इवेंट्स पर अधिक ध्यान रहेगा। खासकर, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के संकेतकों और यूरोपीय सेंट्रल बैंक की संभावित नीतियों का प्रभाव भारतीय बाजार पर दिख सकता है।
टैरिफ का ग्लोबल ट्रेड पर असर
जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के वीके विजयकुमार ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का फ्लो काफी हद तक टैरिफ के प्रभावों पर निर्भर करेगा। अगर टैरिफ का असर सीमित रहा, तो FIIs अपनी हल्की खरीदारी की रणनीति जारी रख सकते हैं। हालांकि, यदि टैरिफ के कारण वैश्विक बाजार में उथल-पुथल मचती है, तो निवेशक सतर्क रुख अपना सकते हैं। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और वैश्विक बॉन्ड यील्ड्स में उतार-चढ़ाव का असर भारतीय बाजारों पर देखने को मिलेगा।
5 महीने बाद बाजार में लौटी तेजी
भारतीय शेयर बाजारों में पिछले हफ्ते शानदार तेजी देखी गई। बीएसई सेंसेक्स 509.41 अंक (0.66%) बढ़कर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी में 168.95 अंक (0.72%) की उछाल आई। पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में सेंसेक्स अब तक 3,763.57 अंक (5.10%) चढ़ चुका है, और निफ्टी ने 1,192.45 अंक (5.34%) का रिटर्न दिया है।
इस तेजी के चलते बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण (Market Cap) 25,90,546.73 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,12,87,646.50 करोड़ रुपये (4.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) हो गया। इस वृद्धि से संकेत मिलता है कि बाजार में निवेशकों का भरोसा धीरे-धीरे लौट रहा है। हालांकि, आगे के ट्रेंड को अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति तय करेगी।
सेक्टर वाइज संभावनाएं
ऑटो सेक्टर: दबाव बना रह सकता है
ऑटो सेक्टर में आगे भी दबाव बना रह सकता है। अमेरिकी टैरिफ के चलते निर्यात प्रभावित हो सकता है, जिससे कंपनियों की मुनाफे पर असर पड़ेगा। हालांकि, घरेलू बाजार में कुछ कंपनियों के लिए उम्मीदें बनी हुई हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह सेक्टर निकट भविष्य में संघर्ष करता दिख सकता है।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: स्थिरता की संभावना
बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं से जुड़े शेयरों में स्थिरता बनी रह सकती है। विदेशी निवेशकों की बढ़ती खरीदारी और मजबूत घरेलू डिमांड के चलते यह सेक्टर बाजार को सहारा दे सकता है।
आईटी सेक्टर: ग्लोबल ट्रेंड पर निर्भर
आईटी सेक्टर पर भी विदेशी बाजारों का असर देखने को मिलेगा। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत रहती है, तो आईटी कंपनियों को फायदा हो सकता है। लेकिन डॉलर की मजबूती और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण इस सेक्टर में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
अगले हफ्ते की रणनीति
निवेशकों को अगले हफ्ते सतर्क रहने की जरूरत है। अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर बाजार पर असर डाल सकती है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों के ट्रेंड और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों पर भी नजर बनाए रखनी होगी। बाजार में कोई बड़ी गिरावट आती है, तो यह लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए खरीदारी का मौका हो सकता है।
भारतीय शेयर बाजार में पिछले हफ्ते आई तेजी के बावजूद निवेशकों को सतर्क रहना होगा। अमेरिकी टैरिफ, विदेशी बाजारों के ट्रेंड और FIIs की रणनीति बाजार की दिशा तय करेंगे। सोमवार को बाजार बंद रहने के कारण निवेशक मंगलवार से सक्रिय रहेंगे। इस हफ्ते सतर्क रुख अपनाना और बाजार के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
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