Chhaava Movie Review: वैलेंटाइंस डे पर कमजोर दिल वालों के लिए नहीं ये फिल्म, थिएटर में जाने से पहले सोच लें

Chhaava Movie Review: मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कम ही होता है कि एक ही दिन रिलीज हो रही दो बड़ी फिल्मों के प्रेस शो एक ही वक्त पर रखे जाएं। लेकिन, इस बार मामला थोड़ा अलग था। मैडॉक फिल्म्स की नई पेशकश ‘Chhaava‘ का जियो स्टूडियोज से कोई लेना-देना नहीं, जबकि दूसरी फिल्म ‘कैप्टन अमेरिका: ब्रेव न्यू वर्ल्ड’ भारत में जियो के स्वामित्व में आ चुकी डिज्नी इंडिया रिलीज कर रही है। यह सिर्फ एक फिल्मी मुकाबला नहीं, बल्कि दो बड़े स्टूडियो के टकराव की शुरुआत भी हो सकती है। खासकर तब, जब डिज्नी प्लस हॉटस्टार और जियो सिनेमा अब मिलकर ‘जियो हॉटस्टार’ बन चुके हैं।

Chhaava Movie Review: संभाजी महाराज की वीरगाथा

फिल्म ‘छावा’ शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी की कहानी है, जिन्हें महाराष्ट्र में वीरता और बलिदान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। फिल्म की शुरुआत होती है शिवाजी महाराज के निधन से, जिसके बाद मराठा साम्राज्य पर संकट के बादल छा जाते हैं। संभाजी महाराज को हमेशा से एक विद्रोही शख्सियत के रूप में देखा जाता था, जो पारंपरिक राजनीति से अलग सोच रखते थे। फिल्म उनकी इसी यात्रा को दिखाने की कोशिश करती है।

अगर आप वैलेंटाइंस डे पर इसे अपनी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ देखने जा रहे हैं, तो जरा संभल जाइए। मुंबई के फन रिपब्लिक सिनेपोलिस में सुबह 9 बजे का शो देखने के बाद बाहर निकला तो एक युवती बेंच पर बैठी गश खा रही थी और अपने साथी पर भड़क रही थी कि उसे बिना बताए ऐसी फिल्म क्यों दिखाने ले आया!

इतिहास की सच्चाई या कल्पना का खेल?

मराठी में ‘छावा’ का मतलब होता है शेर का बच्चा। फिल्म शिवाजी सावंत के ऐतिहासिक उपन्यास ‘छावा’ पर आधारित है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि फिल्म में कितनी सच्चाई है और कितना कल्पना का तड़का लगाया गया है। पूरी फिल्म में संभाजी लड़ते ही नजर आते हैं—भेस बदलकर, तलवार उठाकर, दुश्मनों को धूल चटाते हुए।

औरंगजेब ने उन्हें पकड़ने के लिए दिल्ली से अपनी फौज रवाना की थी, और फिल्म 1680 से 1689 के बीच के उस संघर्ष को दिखाती है, जो केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि सत्ता और अस्तित्व की लड़ाई थी। फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह औरंगजेब ने छल-कपट से मराठों को तोड़ने की कोशिश की और किस प्रकार संभाजी ने हर बार उसे मात दी।

क्लाइमेक्स में वीभत्सता की हद

अगर आप दिल के कमजोर हैं, तो यह फिल्म आपके लिए नहीं है। क्लाइमेक्स में फिल्म क्रूरता की सारी सीमाएं पार कर जाती है। औरंगजेब के अत्याचारों को दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। औरंगजेब का मजाक उड़ाने के लिए उसे ‘औरंग’ कहकर पुकारा जाता है, उसका बेटा अकबर संभाजी का साथ देना चाहता है, लेकिन औरंगजेब की जिद आड़े आ जाती है। उसकी बेटी उससे भी ज्यादा बेरहम निकली, जो संभाजी को तड़पा-तड़पा कर मारने में आनंद लेती है।

संभाजी को यातनाएं देते हुए जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाने की कोशिश भी की जाती है, लेकिन वह झुकते नहीं। फिल्म का क्लाइमेक्स इतना दर्दनाक है कि दर्शकों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।

गद्दारी, राजनीति और छल का खेल

फिल्म का अंत कई कड़वी सच्चाइयों को उजागर करता है। संभाजी की पत्नी येसूबाई के दोनों भाई गद्दार निकले। इतना ही नहीं, मराठा साम्राज्य के कई सूबेदारों ने भी धोखा दिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह कि शिवाजी की दूसरी पत्नी सोयराबाई खुद चाहती थीं कि संभाजी का अंत हो जाए और इसके लिए उन्होंने औरंगजेब को पत्र भी लिखा था।

फिल्म राजनीति और गद्दारी के पहलू को बखूबी दिखाती है। यह फिल्म केवल एक ऐतिहासिक कहानी नहीं, बल्कि सत्ता की भूख, विश्वासघात और वीरता की परीक्षा की दास्तान है।

विक्की कौशल का दमदार अभिनय

Chhaava Movie Review

विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के किरदार को पूरी शिद्दत के साथ निभाया है। जिस तरह उन्होंने ‘सरदार उधम’ और ‘सैम बहादुर’ में अपने किरदार में जान फूंक दी थी, उसी अंदाज में वह यहां भी नजर आते हैं। लक्ष्मण उतेकर के निर्देशन में विक्की ने एक और शानदार परफॉर्मेंस दी है। यह फिल्म निश्चित रूप से उनके करियर के टॉप परफॉर्मेंसेस में गिनी जाएगी।

रश्मिका मंदाना की कमजोर मौजूदगी

रश्मिका मंदाना का किरदार फिल्म में ज्यादा दमदार नहीं है। उनकी भूमिका बस युद्ध से लौटे राजा की आरती उतारने, काला टीका लगाने और कुछ इमोशनल डायलॉग्स तक सीमित है। इसके उलट दिव्या दत्ता का रोल ज्यादा प्रभावी है। उन्होंने शिवाजी की दूसरी पत्नी सोयराबाई की भूमिका निभाई है, जो अपने बेटे को गद्दी पर बैठाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

A R Rehman की सबसे कमजोर कड़ी

फिल्म में अगर कोई सबसे बड़ी निराशा है, तो वह ए आर रहमान का बैकग्राउंड स्कोर है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने स्टॉक म्यूजिक उठाकर फिल्म में फिट कर दिया हो। न कोई यादगार धुन, न कोई असरदार संगीत। गानों की बात करें, तो वे भी बेहद औसत दर्जे के हैं।

Chaava Movie देखें या न देखें?

अगर आप विक्की कौशल के फैन हैं और इतिहास से जुड़ी फिल्में पसंद करते हैं, तो ‘छावा’ एक बार देखी जा सकती है। लेकिन, कमजोर दिल वालों के लिए यह फिल्म नहीं बनी है। खासकर क्लाइमेक्स के दौरान अगर दिल बैठने लगे, तो ब्रेक लेकर थोड़ी ताजी हवा जरूर ले लें! यह फिल्म इतिहास प्रेमियों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है, लेकिन अगर आप हल्की-फुल्की एंटरटेनमेंट वाली फिल्में पसंद करते हैं, तो यह आपके लिए सही नहीं होगी।

इन्हें भी पढें!

Leave a Comment