Indusind Bank Scam: इंडसइंड बैंक में बड़ा घोटाला? 27% गिरा शेयर, निवेशकों के पैसे डूबने का खतरा?

Indusind Bank Scam: इंडसइंड बैंक के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। मंगलवार को बैंक का शेयर 27% से ज्यादा गिर गया, जिससे बाजार पूंजीकरण में 19,000 करोड़ रुपये तक की कमी आ गई। इस भारी गिरावट की वजह बैंक की ओर से किया गया एक बड़ा खुलासा है। बैंक ने जानकारी दी कि उसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में भारी नुकसान हुआ है, जो दिसंबर 2024 तक उसके नेटवर्थ का 2.35% था। इस खबर के सामने आते ही निवेशकों में घबराहट फैल गई और भारी संख्या में शेयरों की बिकवाली शुरू हो गई।

Indusind Bank Scam: क्या है पूरा मामला?

इंडसइंड बैंक पर आरोप है कि उसने अपने लेखांकन में गंभीर गड़बड़ियां कीं और इन गलतियों को सुधारने में देरी की। जब ये गड़बड़ियां बैंकिंग नियामकों के सामने आईं, तो आरबीआई ने इस पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी। आखिरकार, बैंक को निवेशकों को नुकसान की सही जानकारी देने के लिए मजबूर किया गया।

इतना ही नहीं, बैंकिंग सेक्टर में एक और बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक के एमडी और सीईओ सुमंत कठपालिया के कार्यकाल को केवल एक साल का विस्तार दिया है, जबकि बैंक का बोर्ड तीन साल की पुनर्नियुक्ति चाहता था। इसका मतलब यह है कि नियामक बैंक की मौजूदा लीडरशिप से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है और चाहता है कि बैंक जल्द से जल्द नए सीईओ के लिए नाम प्रस्तावित करे।

बैंकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि आरबीआई की यह सख्ती दिखाती है कि इंडसइंड बैंक की आंतरिक वित्तीय प्रक्रियाओं में गंभीर खामियां हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है। अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह संकट और गहरा सकता है।

कैसे हुआ इतना बड़ा नुकसान?

बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक, इंडसइंड बैंक ने डेरिवेटिव घाटे की सही पहचान और वर्गीकरण में देरी की। जब कोई बैंक विदेशी मुद्रा में निवेश करता है, तो उसे रुपये में बदलने के लिए हेजिंग (बचाव) करनी होती है। लेकिन इंडसइंड बैंक ने इस प्रक्रिया को ठीक से नहीं अपनाया, जिससे बड़ा घाटा हुआ।

इसके अलावा, बैंक ने इस घाटे को बैलेंसशीट में मिलने वाली रकम के तौर पर दिखाया और अमूर्त संपत्ति के रूप में शामिल किया, जो नियमों के खिलाफ था। बैंक को इस नुकसान की भरपाई के लिए पहले से प्रोविजन करना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जब आरबीआई के नए नियम 1 अप्रैल 2024 से लागू हुए, तो बैंक को अपनी लेखांकन प्रक्रिया में दिक्कत होने लगी।

उद्योग के सूत्रों का कहना है कि पिछले साल नवंबर में बैंक ने बाहरी ऑडिट फर्म पीडब्ल्यूसी को डेरिवेटिव पोर्टफोलियो की जांच के लिए नियुक्त किया था। इसके बाद से नियामकों ने बैंक पर सख्ती बढ़ा दी।

कितना बड़ा हो सकता है नुकसान?

अब तक, बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 1,500 करोड़ रुपये के संभावित नुकसान की बात सामने आई है। हालांकि, उद्योग के जानकारों का कहना है कि यह नुकसान बढ़कर 1,900 से 2,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस मामले में अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिससे असली नुकसान का पता चलेगा।

यह अनियमितता पिछले चार से पांच वर्षों से जारी थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में इसका प्रभाव और ज्यादा बढ़ गया। अनुमान है कि बैंक को करीब 1,200 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदाजा पहले से था, लेकिन इसे सही समय पर सार्वजनिक नहीं किया गया।

निवेशकों के लिए खतरा?

Indusind Bank Scam

इंडसइंड बैंक की इस स्थिति ने उसके निवेशकों को मुश्किल में डाल दिया है। बैंक के शेयरों में भारी गिरावट से निवेशकों को बड़ा झटका लगा है। कई निवेशकों के लिए यह सवाल उठ रहा है कि क्या वे अपना पैसा वापस निकाल लें या बैंक में निवेश बनाए रखें।

विश्लेषकों का कहना है कि इंडसइंड बैंक के सामने अब दो बड़ी चुनौतियां हैं—पहली, वह अपने वित्तीय संकट को कैसे संभालता है, और दूसरी, आरबीआई के नियमों का पालन कैसे करता है। अगर बैंक जल्दी ही सही कदम नहीं उठाता, तो इसका असर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है।

आगे क्या हो सकता है?

अब सबकी नजर इस पर है कि बैंक इस संकट से कैसे बाहर निकलता है। अगर बैंक अपनी आंतरिक लेखा प्रणाली में सुधार करता है और नियामकों के निर्देशों का पालन करता है, तो निवेशकों का भरोसा दोबारा जीता जा सकता है। लेकिन अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो इंडसइंड बैंक को और बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

इस मामले में आरबीआई और अन्य बैंकिंग नियामकों की प्रतिक्रिया भी अहम होगी। अगर वे बैंक पर कोई और सख्त कार्रवाई करते हैं, तो इससे बाजार में और ज्यादा घबराहट फैल सकती है।

इंडसइंड बैंक इस वक्त गंभीर संकट में है। डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुए नुकसान और लेखांकन में गड़बड़ियों के कारण बैंकिंग नियामकों ने सख्त रुख अपनाया है। इस वजह से बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आई है और निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ है। अब सवाल यह है कि बैंक इस स्थिति से कैसे उबरता है और क्या निवेशकों का भरोसा दोबारा जीत पाता है।

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