पुणे महाराष्ट्र में Guillain-Barré Syndrome (GBS) के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राज्य में इस बीमारी के 5 नए मामले सामने आने के बाद कुल मरीजों की संख्या 163 तक पहुंच गई है। इनमें से सबसे अधिक मामले पुणे से ही दर्ज किए गए हैं, जबकि केवल 8 मरीज पड़ोसी जिलों से हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अब तक 5 मरीजों की मौत हो चुकी है, हालांकि मंगलवार को कोई नई मौत दर्ज नहीं हुई। डॉक्टरों का कहना है कि अब तक के सबसे बुरे दौर को पार कर लिया गया है, और डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
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Guillain-Barré Syndrome (GBS) के सबसे ज्यादा मामले पुणे से
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, सोमवार को रिपोर्ट में 5 नए मरीजों की पुष्टि हुई। पुणे शहर से अब तक 163 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 86 मामले पुणे नगर निगम सीमा के हाल ही में जोड़े गए गांवों से, 18 मामले पिंपरी चिंचवाड़ से, 19 मामले पुणे ग्रामीण क्षेत्र से और 8 मामले अन्य जिलों से हैं।
संक्रमण के स्रोत की जांच के लिए 168 पानी के नमूने लिए गए थे, जिनका रासायनिक और जैविक विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 8 जल स्रोत दूषित पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि संदूषित पानी ही इस बीमारी के फैलने का एक संभावित कारण हो सकता है।
21 मरीज अब भी वेंटिलेटर पर
GBS से पीड़ित 163 मरीजों में से 47 को डिस्चार्ज कर दिया गया है, लेकिन अब भी 21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, कुछ मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है, लेकिन अधिकांश मरीजों की स्थिति स्थिर है।
डॉक्टरों का दावा संक्रमण की रफ्तार घटी
पुणे के पूना अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कोठारी ने कहा, “GBS के मामलों में अब कमी देखने को मिल रही है। पहले हर दिन एक नया केस सामने आता था, लेकिन अब 2 से 4 दिनों में एक मामला मिल रहा है। पिछले हफ्ते से कोई नया केस दर्ज नहीं हुआ है, जिससे संकेत मिलता है कि यह लहर अब कमजोर हो रही है।”
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमीत द्रविड़ के अनुसार, “ज्यादातर मरीजों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण थे, जो शायद कैंपिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण से जुड़े हो सकते हैं। GBS विकसित होने से करीब 12 से 15 दिन पहले मरीजों में यह समस्या देखी गई थी। यदि यह पैटर्न जारी रहा, तो अगले कुछ दिनों में और कम नए मामले सामने आएंगे।”
GBS फैलने की असली वजह अब तक अज्ञात
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में 12 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से 4 वेंटिलेटर पर हैं। इनमें से अधिकांश मरीज किरकटवाड़ी और नांदेड़ गांवों से हैं। हालांकि, GBS की वजह को लेकर अब भी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।
PMC (पुणे नगर निगम) के हाल ही में विलय किए गए इलाकों में संदूषण की जांच जारी है। अधिकारियों का कहना है कि कई प्रभावित इलाकों में पानी के स्रोत दूषित पाए गए हैं। इसके अलावा, RO प्लांट से 20-लीटर पानी के डिब्बे भरने वाले निजी विक्रेताओं पर भी नजर रखी जा रही है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इन क्षेत्रों में बेचे जा रहे कुछ पानी के डिब्बों में जीवाणु संक्रमण का स्तर बेहद अधिक था।
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS)?
GBS एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद पर हमला करने लगती है, जिससे मरीज की परिधीय तंत्रिकाएं प्रभावित होती हैं। इसका असर मांसपेशियों की कमजोरी, हाथ-पैरों में झुनझुनी, निगलने और सांस लेने में दिक्कत के रूप में देखा जाता है।
GBS का प्रकोप कब तक रहेगा?
डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल मामले घटते नजर आ रहे हैं, लेकिन अभी सतर्कता जरूरी है। पुणे और आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छ जल आपूर्ति सुनिश्चित करने और संदूषित स्रोतों को साफ करने का प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे उबालकर या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिएं और अनावश्यक रूप से बाहर का खाना खाने से बचें।
अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या GBS के मामलों में और गिरावट आती है या यह संक्रमण फिर से रफ्तार पकड़ता है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी सतर्कता बरत रहा है, लेकिन अभी भी GBS की असली वजह को लेकर रहस्य बना हुआ है।
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