अक्सर लोग सोचते हैं कि अगर उनका CIBIL Score 750 या उससे ऊपर है, तो उन्हें बैंक से आसानी से लोन मिल जाएगा। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं होता। कई बार ऐसा होता है कि क्रेडिट स्कोर अच्छा होने के बावजूद भी बैंक लोन को रिजेक्ट कर देता है। यह थोड़ा हैरान करने वाला होता है, लेकिन इसके पीछे कुछ ठोस कारण होते हैं जो सिर्फ सिबिल स्कोर तक सीमित नहीं होते।
असल में, बैंक या किसी भी वित्तीय संस्था के लिए सिर्फ सिबिल स्कोर देखना ही काफी नहीं होता। वह आपके फाइनेंशियल बैकग्राउंड को भी अच्छे से परखते हैं। यानी आप कितनी इनकम कमा रहे हैं, कितने सालों से एक ही जॉब या बिजनेस में हैं, आपने पहले से कोई लोन लिया है या नहीं, और आप कितना कर्ज पहले से चुका रहे हैं – ये सारी बातें बहुत मायने रखती हैं।
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सिबिल स्कोर अच्छा, फिर भी लोन रिजेक्ट क्यों हुआ?
CIBIL Score ये बताता है कि आपने पहले किस तरह लोन या EMI चुकाई है। ये एक तरह का ट्रैक रिकॉर्ड होता है। लेकिन लोन अप्रूवल के लिए सिर्फ ट्रैक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि आपकी repayment capacity यानी भविष्य में EMI चुकाने की ताकत भी देखी जाती है। इसलिए बैंक इनकम से जुड़े कई और पहलुओं पर ध्यान देता है।
जैसे अगर किसी व्यक्ति की सैलरी बहुत कम है या उसकी नौकरी बहुत अनस्टेबल है, तो बैंक को ये डर होता है कि कहीं ये व्यक्ति लोन चुकाने में डिफॉल्ट ना कर दे। ऐसे में CIBIL Score चाहे जितना भी अच्छा हो, लोन रिजेक्ट हो सकता है।
1. क्या आपकी Income Stable है?
Income Stability सबसे जरूरी फैक्टर होता है। बैंक सबसे पहले ये देखता है कि आपकी कमाई का स्रोत क्या है और वो कितना भरोसेमंद है। अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो बैंक ये देखेगा कि आप कितने समय से एक ही नौकरी में टिके हुए हैं। अगर आप बार-बार नौकरी बदलते हैं, या आपकी नौकरी contractual या temporary है, तो बैंक को शक हो सकता है।
वहीं, अगर आप बिजनेस करते हैं, तो बैंक यह जांचता है कि बिजनेस से हर महीने या सालाना कितनी इनकम आ रही है। क्या वह इनकम लगातार है या नहीं? साथ ही बिजनेस कितने समय से चल रहा है, उसका स्केल क्या है, ये सब भी देखा जाता है।
2. Debt to Income Ratio क्या है?
ये एक बहुत ही अहम पहलू है जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। Debt to Income Ratio का मतलब होता है कि आपकी Monthly Income के मुकाबले आप पहले से कितना लोन चुका रहे हैं। अगर आपकी आधी से ज्यादा इनकम पहले से ही EMI में जा रही है, तो बैंक को यह भरोसा नहीं होता कि आप नया लोन आराम से चुका पाएंगे।
आम तौर पर अगर आपका DTI रेश्यो 40–50% से ऊपर है, तो लोन रिजेक्ट होने की संभावना ज्यादा होती है। बैंक चाहती है कि आपकी इनकम में इतना स्कोप हो कि नई EMI जुड़ने पर भी आपकी जरूरतें और पुराने खर्च मैनेज हो जाएं।
3. क्या आप बार-बार Job Change कर रहे हैं?
जैसे कि ऊपर बताया गया, बैंक आपके जॉब प्रोफाइल को भी चेक करता है। अगर आप एक ही कंपनी में लंबे समय से काम कर रहे हैं, तो यह आपके फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को दर्शाता है। लेकिन अगर आपने पिछले 2-3 सालों में कई बार नौकरी बदली है, तो बैंक को शक हो सकता है कि आपकी इनकम स्थिर नहीं है।
सरकारी नौकरी करने वालों या बड़ी कंपनियों में स्थाई नौकरी करने वालों को लोन मिलने में ज्यादा परेशानी नहीं होती, क्योंकि उनका रिस्क फैक्टर कम माना जाता है।
4. लोन लेने का मकसद क्या है?
बैंक ये भी देखता है कि लोन किस उद्देश्य से लिया जा रहा है। अगर आप होम लोन या कार लोन जैसे सिक्योर्ड लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो बैंक के पास गारंटी के तौर पर आपकी प्रॉपर्टी या गाड़ी होती है। ऐसे लोन में रिस्क कम होता है।
वहीं, पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन में बैंक को कोई गारंटी नहीं मिलती। ऐसे में बैंक उस व्यक्ति को ही लोन देता है जिसकी फाइनेंशियल बैकग्राउंड काफी मजबूत हो।
अगर आपने लोन का उद्देश्य क्लियर नहीं बताया, या बैंक को आपका उद्देश्य सही नहीं लगा, तो भी लोन रिजेक्ट हो सकता है।
तो क्या करें?
अगर आपका CIBIL स्कोर अच्छा है लेकिन लोन बार-बार रिजेक्ट हो रहा है, तो सबसे पहले अपने फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट्स को रिव्यू करें। ये देखें कि आपकी इनकम कितनी है, उसका प्रूफ कितना मजबूत है, और आपने पहले से कितने लोन ले रखे हैं। अगर आपका जॉब प्रोफाइल स्थिर नहीं है, तो कोशिश करें कि आप कुछ सालों तक एक ही जगह टिकें। बिजनेस कर रहे हैं तो इनकम स्टेटमेंट्स और GST रिटर्न जैसी चीज़ें मजबूत रखें।
इन सभी बातों को समझना जरूरी है, क्योंकि सिर्फ CIBIL Score से लोन अप्रूव नहीं होता। बैंक को आपका पूरा फाइनेंशियल हेल्थ देखना होता है — तभी कहीं जाकर लोन अप्रूव होता है।
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