Share Market: शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन गिरावट के साथ बंद, IT शेयरों और कमजोर वैश्विक माहौल का असर

Share Market ने सोमवार को भी गिरावट का रुख जारी रखा, जो कि लगातार दूसरे दिन था। बीएसई सेंसेक्स 271.17 अंक या 0.33 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,059.42 के स्तर पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 366.02 अंक यानी 0.44 प्रतिशत नीचे आकर 81,964.57 अंक तक गिरा था। वहीं, एनएसई का निफ्टी 74.35 अंक यानी 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,945.45 पर बंद हुआ। इस गिरावट का मुख्य कारण आईटी शेयरों में बिकवाली और वैश्विक स्तर पर कमजोर बाजार रुझान बताए जा रहे हैं। मूडीज द्वारा अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग में कटौती के बाद दुनिया भर के बाजारों में नकारात्मक माहौल बना हुआ है, जिसका असर भारत के शेयर बाजार पर भी देखने को मिला।

भारत में इस समय बाजार की हालत पर नजर डालें तो पता चलता है कि सेंसेक्स की 30 प्रमुख कंपनियों में से कई कंपनियों के शेयर गिरावट के दौर से गुजर रहे हैं। यह गिरावट केवल स्थानीय ही नहीं बल्कि वैश्विक बाजार के दबाव के कारण भी आई है। विदेशी निवेशक भी बाजार में सतर्क हो गए हैं, जिससे घरेलू बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वक्त निवेशकों की चिंता अमेरिकी आर्थिक स्थिरता, बढ़ती ब्याज दरों और चीन की धीमी आर्थिक वृद्धि को लेकर बनी हुई है, जिससे बाजार प्रभावित हो रहा है।

Share Market सेंसेक्स की प्रमुख कंपनियों का प्रदर्शन

सेंसेक्स की कंपनियों में सबसे ज्यादा नुकसान आईटी सेक्टर के शेयरों को हुआ। इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टेक महिंद्रा जैसे बड़े आईटी दिग्गजों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स, एचसीएल टेक और अडानी पोर्ट्स के शेयर भी नीचे आए। इन कंपनियों के शेयरों में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और निवेशकों की सतर्कता मानी जा रही है। दूसरी तरफ, पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, भारतीय स्टेट बैंक और इंडसइंड बैंक जैसे कुछ वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के शेयर लाभ में रहे।

मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने इस गिरावट पर कहा, “कारोबारी सत्र के दौरान बाजार नकारात्मक दायरे में रहा। एशियाई और यूरोपीय बाजारों में कमजोरी के कारण निवेशकों ने आईटी, पूंजीगत सामान और तेल एवं गैस सेक्टर के शेयरों में मुनाफावसूली का सहारा लिया। इस वजह से बाजार में दबाव बना रहा।”

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और डॉलर की मजबूती के कारण विदेशी निवेशक भी बाजार से कुछ हद तक पैसे निकाल रहे हैं, जो बाजार की गिरावट का एक और कारण है। हालांकि, घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियादी बातें अभी भी निवेशकों के बीच आशा बनाए रखे हुए हैं।

वैश्विक बाजारों की स्थिति

वैश्विक बाजारों की बात करें तो एशियाई बाजारों में आज दक्षिण कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई 225 और हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। इसके विपरीत, चीन के शंघाई एसएसई कम्पोजिट सूचकांक में कुछ सुधार देखने को मिला और यह ऊपर बंद हुआ। यूरोपीय बाजार भी कमजोर प्रदर्शन के साथ बंद हुए। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक दायरे में बंद हुए थे, लेकिन सोमवार को वैश्विक बाजारों की कमजोरी का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा।

इस वैश्विक मंदी के बीच, तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली। ब्रेंट क्रूड का वैश्विक मानक 0.41 प्रतिशत गिरकर 65.14 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। तेल की कीमतों में कमी का असर कई सेक्टरों पर पड़ता है, खासकर ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र पर। इसके चलते बाजार की गतिविधियों में नकारात्मक रुझान देखने को मिला।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधि पर नजर डालें तो शुक्रवार को उन्होंने 8,831.05 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी। हालांकि, इस खरीदारी के बावजूद बाजार में गिरावट आई। शुक्रवार को सेंसेक्स 200.15 अंक यानी 0.24 प्रतिशत गिरकर 82,330.59 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 42.30 अंक यानी 0.17 प्रतिशत नीचे आकर 25,019.80 पर बंद हुआ।

आगे का रुख क्या रहेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा और प्रमुख आर्थिक नीतियों पर निर्भर करेगा कि भारतीय बाजार किस दिशा में जाएगा। अगर अमेरिकी आर्थिक आंकड़े मजबूत आते हैं और चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार होता है तो बाजार में तेजी आ सकती है। वहीं, अगर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं बढ़ती हैं तो बाजार में और गिरावट आ सकती है।

स्थानीय स्तर पर, निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और बाजार की अस्थिरता के बीच जल्दबाजी से बचना चाहिए। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लंबी अवधि की योजना बनाकर ही निवेश करें और बाजार के छोटे उतार-चढ़ाव से घबराएं नहीं।

कुल मिलाकर, वर्तमान समय शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। कमजोर वैश्विक आर्थिक संकेत, आईटी शेयरों में बिकवाली और विदेशी निवेशकों की सतर्कता बाजार को दबाव में ला रही है। निवेशकों को चाहिए कि वे पूरी जानकारी लेकर सोच-समझकर निर्णय लें। आने वाले दिनों में वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थितियों पर नजर रखनी जरूरी होगी ताकि सही समय पर सही कदम उठाए जा सकें।

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