US Tariff Effect on India: अमेरिकी टैरिफ का भारत पर ये पड़ेगा असर, SBI की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

US Tariff Effect on India: अमेरिकी सरकार के हालिया फैसलों का असर अब वैश्विक बाजारों पर दिखने लगा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। SBI की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, नए टैरिफ नियमों से भारतीय कारोबार को कुछ हद तक झटका लग सकता है, लेकिन देश की निर्यात नीति में किए गए बदलाव इसकी भरपाई करने में मदद कर सकते हैं। सवाल यह है कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय व्यापार पर असल में क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं।

US Tariff Effect on India: भारत को कितना नुकसान?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने हाल ही में कुछ उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की बात कही है। इसका सीधा मतलब यह है कि अगर कोई देश अमेरिका के उत्पादों पर टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उसी अनुपात में उस देश पर टैरिफ लगाएगा। SBI की रिपोर्ट बताती है कि इसका भारत पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन कुल निर्यात में 3-3.5% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है

भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है क्योंकि अमेरिका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, फार्मा और ऑटोमोटिव सेक्टर का बड़ा व्यापार होता है। अगर अमेरिका कुछ उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाता है, तो भारतीय कंपनियों के लिए वहां व्यापार करना महंगा हो सकता है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है। हालांकि, सरकार इस असर को कम करने के लिए पहले से ही कई नीतिगत बदलाव कर रही है।

भारत के पास हैं नए बाजार और रणनीति

US Tariff Effect on India

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस स्थिति से निपटने के लिए पहले ही नई व्यापार नीतियों पर काम कर रहा है। यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी देशों के साथ भारत व्यापारिक रिश्ते मजबूत कर रहा है ताकि निर्यात के लिए नए बाजारों की तलाश की जा सके। अमेरिका पर अधिक निर्भरता को कम करने के लिए भारत नई सप्लाई चेन रणनीतियों को अपना रहा है।

इसके अलावा, सरकार निर्यात को बढ़ाने के लिए कई नए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) कर रही है, जिससे भारतीय उत्पादों को अन्य देशों में भेजना आसान हो सके। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने यूएई, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस और अन्य बड़े देशों के साथ 13 नए व्यापार समझौते किए हैं। इन समझौतों के जरिए भारतीय कंपनियां नए बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत कर सकती हैं, जिससे अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सकेगा।

एल्यूमीनियम और स्टील सेक्टर पर फोकस जरूरी

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अमेरिका के साथ अपने एल्यूमीनियम और स्टील व्यापार को दोबारा मजबूत करने की जरूरत है। ये दोनों सेक्टर भारत-अमेरिका व्यापार में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनका ग्रोथ धीमा हुआ है। अमेरिका के नए टैरिफ नियमों से भारतीय एल्यूमीनियम और स्टील कंपनियों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि इनपर पहले से ही अमेरिका में कई तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लगे हुए हैं।

हालांकि, सरकार इस प्रभाव को कम करने के लिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। इससे भारतीय कंपनियों को अमेरिका पर कम निर्भर रहना पड़ेगा और वे अन्य देशों में अपने उत्पादों की सप्लाई बढ़ा सकेंगी।

क्या भारतीय बाजार को घबराने की जरूरत है?

SBI की रिपोर्ट साफ इशारा करती है कि अमेरिकी टैरिफ का भारत पर सीधा और गहरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, कुछ सेक्टर्स को नुकसान जरूर हो सकता है, लेकिन सरकार की नई व्यापार रणनीति और निर्यात में बदलाव इसे संतुलित कर सकते हैं। टेक्सटाइल और फार्मा जैसे क्षेत्रों में भारत पहले से ही नए बाजारों की तलाश कर रहा है, जिससे अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित रहेगा।

इसके अलावा, भारत अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत कर रहा है और सरकार मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जिससे देश की कंपनियां आत्मनिर्भर बन सकें। इस तरह, भले ही कुछ समय के लिए अमेरिकी टैरिफ से भारत को नुकसान हो, लेकिन लॉन्ग टर्म में देश की अर्थव्यवस्था पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि भारत आने वाले समय में किस तरह से अपनी व्यापारिक नीतियों को आगे बढ़ाता है और इस चुनौती का सामना करता है।

इन्हें भी पढें!

Leave a Comment