UCO Bank Ex-Chairman Arrested: यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) सुबोध कुमार गोयल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी बैंक फ्रॉड के एक बड़े मामले में हुई है, जिसमें करीब 6,200 करोड़ रुपये के लोन घोटाले का खुलासा हुआ है। सुबोध गोयल पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के बड़े पद पर रहते हुए एक कंपनी को भारी रकम का लोन मंजूर करवाने में गड़बड़ी की और इसके बदले में मोटा कमीशन प्राप्त किया। यह मामला केवल बैंकिंग धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पैसों के ट्रांसफर के लिए कई शेल कंपनियों और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है।
गोयल पर आरोप है कि उन्होंने इस पूरे घोटाले में कैश, प्रॉपर्टी, लग्ज़री सामान और होटल बुकिंग जैसी सुविधाएं कमिशन के तौर पर लीं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ये सब इतने चालाकी से किया गया कि शुरुआत में किसी को भी इस पूरे नेटवर्क का पता नहीं चला। इस गिरफ्तारी को बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि यह धोखाधड़ी काफी लंबे समय से चल रही थी और बड़ी रकम involved थी।
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किस कंपनी को मिला था लोन, और कैसे हुआ घोटाला?
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह खुलासा हुआ है कि जब सुबोध गोयल यूको बैंक के CMD थे, तब उन्होंने Concast Steel & Power Ltd. (CSPL) नाम की कोलकाता स्थित कंपनी को करोड़ों रुपये का लोन मंजूर करवाया। इस लोन की रकम करीब 6,210 करोड़ रुपये थी, जो कि बेहद भारी संख्या है।
लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब इस लोन की रकम का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। CSPL ने इस पैसे को विभिन्न खातों में घुमाया और यह रकम आखिरकार ऐसे हाथों में पहुंच गई, जो इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि कंपनी ने बैंक से मिले लोन का गलत इस्तेमाल किया और पैसा धोखाधड़ी के रूप में बाहर भेजा गया।
यह पूरा खेल बैंक के अंदर बैठे लोगों की मिलीभगत से संभव हो पाया। गोयल पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के नियमों को ताक पर रखकर कंपनी को लोन दिलवाया, ताकि वे खुद और उनके करीबी आर्थिक रूप से लाभान्वित हो सकें। यह मामला बैंकिंग धोखाधड़ी के सबसे बड़े मामलों में से एक माना जा रहा है।
UCO Bank Ex-Chairman Arrested कमीशन का पूरा जाल था तैयार
ईडी के मुताबिक, इस घोटाले में सुबोध गोयल को सिर्फ कैश कमीशन ही नहीं मिला, बल्कि इसे छुपाने के लिए एक जाल बुना गया। कमीशन के तौर पर कैश, प्रॉपर्टी, लग्ज़री सामान, होटल बुकिंग जैसी कई चीजें दी गईं, ताकि पैसों का असली स्रोत पता न चले।
जांच में यह भी पता चला है कि गोयल को मिली संपत्ति और सुविधाएं सीधे उनके नाम पर नहीं थीं। इनके ट्रांसफर के लिए शेल कंपनियों और फर्जी नामों का इस्तेमाल किया गया ताकि कोई भी अधिकारी या एजेंसी उनकी असली संपत्ति की जानकारी न जुटा सके।
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां फर्जी दस्तावेज बनाए गए और पैसों की हेराफेरी की गई। यह पूरा नेटवर्क बड़े स्तर पर काम कर रहा था और इसे खत्म करना आसान नहीं था। लेकिन ED ने लगातार कड़ी कार्रवाई करते हुए इस जाल को तोड़ने में सफलता पाई है।
प्रॉपर्टी भी खरीदी गई, मालिक निकले खुद गोयल और उनके परिवार वाले
जांच में यह भी सामने आया कि जिन प्रॉपर्टीज को शेल कंपनियों के नाम पर खरीदा गया था, उनके असली मालिक खुद सुबोध गोयल और उनके परिवार के सदस्य हैं। इस मामले में परिवार के कई सदस्य भी शामिल बताए जा रहे हैं, जो इस पूरे फ्रॉड के पीछे आर्थिक रूप से जुड़े हुए हैं।
प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बनाए गए फर्जी दस्तावेज और कंपनियां भी जांच का हिस्सा हैं। यह फ्रॉड इतना बड़ा था कि इससे जुड़े सारे लोग अपनी संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे, जो बहुत ही जटिल था।
ED अब तक इस मामले में कई संपत्तियां अटैच कर चुकी है, जिनकी कीमत करोड़ों में है। ये कदम जांच की गंभीरता को दर्शाते हैं और यह संकेत हैं कि एजेंसियां इस फ्रॉड को पूरी तरह से सुलझाना चाहती हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
इस मामले का खुलासा सीबीआई की FIR दर्ज करने के बाद हुआ। सबसे पहले CBI ने इस मामले में जांच शुरू की थी, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी खुद अपनी जांच शुरू कर दी। अप्रैल 2025 में ED ने सुबोध गोयल और उनके अन्य सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की।
इन छापेमारियों के दौरान कई अहम दस्तावेज और सबूत मिले, जो इस मामले को और गहराई से जांचने में मददगार साबित हुए। इसके बाद 16 मई 2025 को गोयल को उनके दिल्ली स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया गया।
17 मई को उन्हें कोलकाता की PMLA कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 21 मई तक ED की कस्टडी में भेज दिया गया है ताकि जांच पूरी हो सके। अभी भी एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं और आगे और भी नाम सामने आ सकते हैं।
CSPL के प्रमोटर भी पहले हो चुके हैं गिरफ्तार
यह मामला केवल सुबोध गोयल तक सीमित नहीं है। दिसंबर 2024 में CSPL के मुख्य प्रमोटर संजय सुरेका को भी ED ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद फरवरी 2025 में उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है।
इस पूरे मामले में ED ने अब तक कुल मिलाकर करीब 510 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच कर ली हैं, जो संजय सुरेका और उनकी कंपनी की हैं। इससे पता चलता है कि यह मामला सिर्फ बैंक फ्रॉड नहीं, बल्कि बड़ी संपत्ति हेराफेरी का भी है।
कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह का नाम भी आया चर्चा में
इस बैंक फ्रॉड मामले के बीच एक और राजनीतिक मामला भी सामने आया है। कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह के नाम पर दो पैन कार्ड और तीन वोटर आईडी होने का आरोप लगाया गया है।
भाजपा ने इस मामले की जांच की मांग की है और इसे गंभीर बताया है। यह आरोप विधायक की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं। फिलहाल इस मामले की जांच जारी है और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह पूरा मामला देश के बैंकिंग और वित्तीय तंत्र के लिए एक चेतावनी है। जांच एजेंसियां लगातार इस तरह के फ्रॉड पर नजर रख रही हैं ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोका जा सके। सुबोध गोयल की गिरफ्तारी और इस मामले की जांच से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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