Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश की लहर है। इस हमले में आतंकियों ने 26 टूरिस्टों की बेरहमी से हत्या कर दी, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे हिंदू थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जहां एक तरफ आम नागरिक पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ गुस्से से भरे हुए हैं, वहीं दिल्ली की जामा मस्जिद से भी एक बड़ा और साफ संदेश पाकिस्तान को भेजा गया।
जुमा की नमाज के बाद, शुक्रवार को जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर सैकड़ों मुसलमानों ने ‘ब्लैक डे’ मनाया और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया। हाथों में तिरंगा, और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ जैसे पोस्टर लिए इन लोगों ने दिखा दिया कि आतंकवाद के खिलाफ अब सिर्फ एक धर्म नहीं, पूरा भारत एकजुट है। खास बात यह रही कि इस प्रदर्शन का नेतृत्व किसी संगठन ने नहीं, बल्कि आम लोगों ने किया—वो लोग जो अब चुप नहीं बैठना चाहते।
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“हम भारत के मुसलमान हैं, पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं”
प्रदर्शन के दौरान जो बातें कही गईं, वो भारत के हर नागरिक के दिल की आवाज थीं। वक्ताओं ने साफ कहा कि भारत का मुसलमान न सिर्फ अपने मुल्क से मोहब्बत करता है, बल्कि उसकी हिफाजत के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि अब उसका नाम सुनते ही मुसलमानों के बीच भी नाराजगी है। अब कोई पाकिस्तान को अपना नहीं मानता।
जामा मस्जिद की सीढ़ियों से जो आवाजें उठीं, उनमें एक बात कॉमन थी—”हम भारतीय हैं, और जो हमारे देश को आंख दिखाएगा, हम उसके खिलाफ खड़े होंगे।” यह संदेश पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी भी थी और आतंकियों के लिए एक खुली चुनौती।
“हर घर से निकलेगी आवाज, आतंकवाद का हो विनाश”
प्रदर्शन में शामिल लोगों के हाथों में जो पोस्टर थे, उनमें लिखा था – “हर घर से निकलेगी आवाज, आतंकवाद का हो विनाश।” कुछ पोस्टरों में लिखा गया था – “एक बेगुनाह का कत्ल, सारी इंसानियत का कत्ल है।” इन नारों ने पूरे माहौल को भावुक और गुस्से से भरा बना दिया।
लोगों ने कहा कि पहलगाम में जो हमला हुआ, वो सिर्फ टूरिस्टों पर नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर हमला था। आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना गलत है। जो मासूम लोगों को मारते हैं, वे इंसान नहीं हो सकते। उनका कोई मजहब नहीं होता। खासकर जब किसी को उसके धर्म की वजह से निशाना बनाया जाए, तो वो पूरी मानवता का अपमान होता है।
Pahalgam Terror Attack दिल्ली के कई बाजार रहे बंद
हमले के विरोध में सिर्फ जामा मस्जिद ही नहीं, दिल्ली के कई बड़े बाजारों में भी आज बंद का आह्वान किया गया। सदर बाजार, भागीरथ प्लेस, चांदनी चौक, हौज काजी, खारी बावली, नया बाजार, चावड़ी बाजार, गांधीनगर जैसे 100 से ज्यादा बाजारों ने इस बंद में हिस्सा लिया। व्यापारियों ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि अब सिर्फ बयानबाजी से काम नहीं चलेगा।
व्यापारियों ने सरकार से अपील की कि इस बार आतंकियों के खिलाफ कोई कड़ा और निर्णायक कदम उठाया जाए। इतना बड़ा हमला और वो भी खुलेआम, टूरिस्ट स्पॉट पर—ये अब सहन नहीं किया जा सकता। लोगों ने साफ कहा कि अब सरकार को आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त नीति अपनानी ही होगी।
पहलगाम में क्यों भड़का गुस्सा?
22 अप्रैल की दोपहर करीब 1:30 बजे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसारन घाटी में अचानक फायरिंग शुरू हो गई थी। वहां पर देश के अलग-अलग हिस्सों से आए टूरिस्ट घूमने आए थे। आतंकियों ने टूरिस्टों को रोका और धर्म पूछना शुरू कर दिया। जिन लोगों ने खुद को हिंदू बताया, या जो ‘कलमा’ नहीं पढ़ पाए, उन्हें वहीं गोली मार दी गई।
इस हमले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा और गुजरात के कई पर्यटक मारे गए। इसके अलावा नेपाल और UAE के एक-एक नागरिक की भी हत्या कर दी गई। दो स्थानीय लोग भी इस हमले का शिकार हुए। हमले के बाद घाटी में सन्नाटा पसर गया और सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया।
पुलवामा हमले के बाद से ये अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। इसने सिर्फ घाटी ही नहीं, पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
मुसलमानों ने दिया साफ संदेश
जामा मस्जिद से जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो सिर्फ विरोध की नहीं, बल्कि एकजुटता और देशभक्ति की तस्वीरें हैं। वहां इकट्ठा हुए लोग ये बताने आए थे कि आतंकवाद के खिलाफ अब सिर्फ एक तबका नहीं, पूरा देश खड़ा है—फिर चाहे वो किसी भी धर्म या राज्य से हो।
मुसलमानों ने पाकिस्तान को यह पैगाम दे दिया कि अगर उसने भारत को कमज़ोर समझा है, तो ये उसकी सबसे बड़ी भूल होगी। भारत का मुसलमान आज सिर्फ अपने मजहब से नहीं, अपने देश से सबसे पहले मोहब्बत करता है। और इस मोहब्बत के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है।
लोगों ने यह भी कहा कि आतंकवाद सिर्फ एक क्षेत्र की या एक धर्म की समस्या नहीं है। यह पूरे देश के लिए खतरा है। और अगर अब भी हम एकजुट होकर इसके खिलाफ नहीं खड़े हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
पहलगाम हमला देश की आत्मा पर चोट जैसा है, और आज पूरा देश—including भारत का मुस्लिम समाज—एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है. दिल्ली की जामा मस्जिद से उठा यह स्वर सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है. अब देश चुप नहीं बैठेगा.
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