Gold price updates: पिछले तीन दिनों के दौरान सोने की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. जहां कुछ दिन पहले तक सोने के दाम आसमान छू रहे थे, वहीं अब कीमतों में लगातार गिरावट ने निवेशकों और खरीदारों को चौंका दिया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सोना अब 4000 रुपए सस्ता हो गया है. इस गिरावट के बाद 10 ग्राम सोने की कीमत घटकर 97,800 रुपए रह गई है. सोने के साथ-साथ चांदी की कीमत में भी नरमी आई है, जिससे बाजार में एक नई हलचल देखने को मिल रही है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मीडियम टर्म में सोने का आउटलुक अभी भी पॉजिटिव है. लेकिन वैश्विक स्तर पर जारी टैरिफ विवादों और अमेरिकी नीतियों के चलते कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है. यानी अगर आप सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं तो फिलहाल बाज़ार को थोड़ा और समझने की जरूरत है.
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Gold price updates: ट्रंप के बयान से आया बड़ा बदलाव
सोने की कीमतों में अचानक आए इस बदलाव का बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान रहा. ट्रंप ने चीन और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन को लेकर कुछ टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद बाजार में हलचल मच गई. निवेशकों ने बड़े पैमाने पर मुनाफा वसूली शुरू कर दी, जिससे सोने और चांदी दोनों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली.
बता दें कि बीते तीन दिनों में सोना 4000 रुपए तक सस्ता हो चुका है. जहां कुछ दिन पहले तक सोने के 10 ग्राम की कीमत 1 लाख रुपए के करीब पहुंच गई थी, वहीं अब यह 97,800 रुपए पर आ गई है. इस गिरावट ने उन लोगों को थोड़ा राहत दी है जो लंबे समय से सोने के दाम कम होने का इंतजार कर रहे थे.
MCX पर भी दिखा दबाव
देश की प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज MCX (Multi Commodity Exchange) पर भी सोने की कीमतों में दबाव देखने को मिला है. शुक्रवार 25 अप्रैल को सोने के जून वायदा में इंट्राडे ट्रेड के दौरान हल्की तेजी के बाद फिर से 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. दोपहर 2 बजे के आसपास MCX पर सोना करीब 0.96 फीसदी गिरकर 94,991 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा था.
दिन के दौरान सोने ने 94,950 रुपए का इंट्राडे लो भी छू लिया. यानी सोने में तेजी से लेकर गिरावट तक का पूरा खेल एक ही दिन के अंदर देखने को मिला. बाजार में उतार-चढ़ाव की यह स्थिति अभी कुछ समय तक बनी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक संकेत अभी भी पूरी तरह से स्थिर नहीं हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कमजोरी
केवल भारत ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है. ग्लोबल स्तर पर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते की उम्मीद बढ़ने लगी है. इस उम्मीद ने निवेशकों को मुनाफा वसूली के लिए प्रेरित किया है. इससे सोने की वैश्विक कीमतों में 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन अमेरिकी आयात पर लगाए गए 125 प्रतिशत टैरिफ में कुछ राहत देने पर विचार कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव काफी हद तक कम हो सकता है, जिसका सीधा असर गोल्ड मार्केट पर पड़ेगा. इसी वजह से दुनियाभर में सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है.
डॉलर की मजबूती ने भी डाला असर
डॉलर इंडेक्स में आई मजबूती ने भी सोने के दामों पर दबाव बढ़ाया है. शुक्रवार को डॉलर इंडेक्स में 0.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई. चूंकि सोने की कीमत डॉलर में तय होती है, इसलिए डॉलर के मजबूत होने पर सोना विदेशी खरीदारों के लिए महंगा हो जाता है. जब सोना महंगा होता है, तो उसकी मांग कम हो जाती है और नतीजा यह होता है कि कीमतों में गिरावट आने लगती है.
डॉलर की मजबूती और वैश्विक स्तर पर टैरिफ विवादों में राहत की उम्मीद ने मिलकर सोने की मौजूदा कीमतों पर दबाव डाला है. हालांकि, यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, इसका अभी कोई ठोस अनुमान नहीं लगाया जा सकता.
क्या इस समय सोना खरीदने का सही मौका है?
अब सवाल उठता है कि क्या ये सोना खरीदने का सही समय है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने का मीडियम टर्म आउटलुक अब भी पॉजिटिव है. यानी लंबी अवधि के नजरिए से सोना एक अच्छा निवेश विकल्प बना रहेगा. लेकिन फिलहाल वैश्विक अनिश्चितता और टैरिफ नीतियों के चलते बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई निवेशक दीर्घकालिक निवेश के इरादे से सोना खरीदना चाहता है तो इस गिरावट का फायदा उठाया जा सकता है. लेकिन अगर आप शॉर्ट टर्म के लिए सोच रहे हैं, तो बाजार में स्थिरता का इंतजार करना बेहतर रहेगा.
फिलहाल यह भी देखा जा रहा है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही बातचीत अगर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है तो सोने की कीमतों में और गिरावट संभव है. वहीं अगर कोई बड़ा भू-राजनीतिक संकट पैदा होता है तो सोने में फिर से तेजी आ सकती है.
अभी बाजार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है. सोने की कीमतों में गिरावट निवेशकों के लिए एक अवसर हो सकता है, लेकिन जल्दबाजी से फैसला लेना सही नहीं होगा. बेहतर होगा कि बाजार के संकेतों पर नजर रखी जाए और सही समय पर सोच-समझकर निवेश किया जाए.
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