New Income Tax Bill 2025: नया आयकर बिल लोकसभा में पेश, जानें क्या बदलने वाला है

New Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में नया आयकर बिल 2025 पेश किया। इस विधेयक को लेकर पहले से ही चर्चाएं चल रही थीं, क्योंकि सरकार इसे पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लागू करने जा रही है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और व्यवस्थित बनाना है, जिससे करदाताओं को रिटर्न फाइल करने में आसानी हो।

वित्त मंत्री ने पहले ही 1 फरवरी 2025 को अपने बजट भाषण में नए आयकर कानून की घोषणा कर दी थी और अब इसे लोकसभा में पेश कर दिया गया है। इस विधेयक के लोकसभा में प्रस्तुत होने के बाद इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया गया, जो अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

New Income Tax Bill 2025

विपक्ष ने किया विरोध, लेकिन विधेयक को मिली मंजूरी

लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते समय विपक्ष ने इसका विरोध किया, लेकिन इसके बावजूद इसे ध्वनिमत से पेश करने की मंजूरी मिल गई। वित्त मंत्री ने विधेयक को प्रस्तुत करते समय सदन के अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि इसे प्रवर समिति को भेजा जाए ताकि विधेयक पर विस्तार से चर्चा की जा सके और आवश्यक सुधार किए जा सकें। सरकार का मानना है कि नया आयकर कानून पुराने कानून की तुलना में ज्यादा स्पष्ट, आसान और व्यवस्थित होगा, जिससे टैक्स फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके।

नए विधेयक में भाषा होगी सरल, अनावश्यक प्रावधान होंगे खत्म

नए विधेयक में कर निर्धारण वर्ष और पूर्व वर्ष जैसे जटिल शब्दों को हटाकर कर वर्ष का इस्तेमाल किया गया है। इससे करदाताओं के लिए कर भरने की प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश की गई है। इसके अलावा, अनावश्यक प्रावधानों और जटिल स्पष्टीकरणों को भी हटाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे आयकर कानून को समझना और लागू करना पहले से ज्यादा सुगम हो जाएगा। सरकार का मानना है कि नया कानून करदाताओं के लिए ज्यादा अनुकूल होगा और इससे कर प्रणाली में पारदर्शिता भी आएगी।

छह दशक पुराने कानून की जगह लेगा नया आयकर विधेयक

अगर यह विधेयक कानून बन जाता है, तो यह छह दशक पुराने 1961 के आयकर अधिनियम को पूरी तरह से खत्म कर देगा। पुराने कानून में समय-समय पर संशोधन किए गए थे, जिससे यह अत्यधिक जटिल हो चुका था। सरकार का मानना है कि यह नया विधेयक करदाताओं और टैक्स एडवाइजर दोनों के लिए ज्यादा सुविधाजनक होगा। इस विधेयक में कुल 536 धाराएं शामिल हैं, जो वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 की 298 धाराओं से कहीं ज्यादा हैं। साथ ही इसमें 23 अध्याय रखे गए हैं और इसकी कुल लंबाई 622 पन्नों की होगी। सरकार का दावा है कि यह विधेयक मौजूदा कानून से ज्यादा व्यवस्थित और सरल होगा।

मूल्यांकन वर्ष की अवधारणा होगी समाप्त

नए विधेयक में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब मूल्यांकन वर्ष की अवधारणा समाप्त कर दी जाएगी। वर्तमान कानून के तहत, किसी भी वित्तीय वर्ष में अर्जित आय पर कर निर्धारण अगले वर्ष किया जाता है। उदाहरण के लिए, 2023-24 में अर्जित आय के लिए कर निर्धारण 2024-25 में किया जाता है। लेकिन नए विधेयक में पिछले वर्ष और कर निर्धारण वर्ष की जटिल अवधारणा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है और अब सिर्फ कर वर्ष का उपयोग किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि करदाता को अब यह समझने में ज्यादा आसानी होगी कि किस वर्ष में कर का भुगतान करना है और इसमें किसी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी।

पृष्ठों की संख्या होगी कम, लेकिन विधेयक होगा अधिक प्रभावी

Nirmala S.

1961 के आयकर अधिनियम में कई बार संशोधन किए गए, जिससे यह धीरे-धीरे जटिल होता चला गया। जब इसे पहली बार लागू किया गया था, तब इसमें 880 पृष्ठ थे, लेकिन बाद में इसमें इतने सारे बदलाव हुए कि यह बेहद कठिन और समझने में जटिल बन गया। मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं, जबकि नए विधेयक में इन्हें बढ़ाकर 16 कर दिया गया है। हालांकि, नए विधेयक में अध्यायों की संख्या वही 23 रखी गई है, लेकिन इसके कुल पृष्ठों की संख्या को घटाकर 622 कर दिया गया है। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि कानून को समझना और लागू करना पहले की तुलना में आसान हो जाएगा।

करदाताओं के लिए नए कानून से क्या होगा बदलाव

सरकार का दावा है कि नया आयकर कानून टैक्सपेयर्स के लिए ज्यादा सुविधाजनक होगा, क्योंकि इसमें तकनीकी शब्दों को हटाकर आसान भाषा का उपयोग किया गया है। करदाताओं को अब आयकर रिटर्न भरने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी और उन्हें जटिल कानूनों का अध्ययन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नया कानून पुराने कानून की तुलना में ज्यादा पारदर्शी होगा और इससे कर प्रणाली में सुधार आएगा।

देश के कराधान प्रणाली में सबसे बड़ा बदलाव

अगर यह विधेयक पारित होता है, तो यह देश में कराधान व्यवस्था को नया रूप देने वाला सबसे बड़ा बदलाव होगा। अब तक करदाता मूल्यांकन वर्ष और पिछले वर्ष की अवधारणा से उलझते रहते थे, लेकिन इस नए बदलाव के साथ कर प्रणाली को ज्यादा सरल और उपयोगकर्ता अनुकूल बनाने की कोशिश की गई है। नया कानून लागू होने के बाद करदाता को सिर्फ कर वर्ष को ध्यान में रखते हुए टैक्स फाइल करना होगा, जिससे संदेह और भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी।

विशेषज्ञों और विपक्ष की प्रतिक्रिया

सरकार के इस विधेयक को लेकर विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ कर विशेषज्ञों का मानना है कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है, जबकि कुछ का कहना है कि सरकार को पहले करदाताओं को नए बदलावों के बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि वे आसानी से इसे समझ सकें। विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं और सरकार से इसे विस्तार से समझाने की मांग की है।

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि यह विधेयक कब तक पारित होता है और इसे लागू करने की प्रक्रिया कैसी होगी। अगर यह कानून बन जाता है, तो यह देश के करदाताओं के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा। इससे कर प्रणाली को ज्यादा सरल बनाया जा सकेगा और करदाताओं को अपने रिटर्न भरने में आसानी होगी। अब देखना यह होगा कि सरकार इसे लागू करने के लिए क्या कदम उठाती है और करदाताओं को इससे क्या लाभ मिलेगा।

इन्हें भी पढें!

Leave a Comment