loveyapa Review: जुनैद खान का ‘लव’ फैलाने की कोशिश में फैला ‘सियापा’, तमिल रीमेक का जादू हुआ बेअसर

loveyapa Review: 2025 में प्रेम कहानियों का फॉर्मूला बदल चुका है। या तो आप ‘एनिमल’ बन जाएं और दर्शकों को गानों पर नचाएं, या फिर ’12वीं फेल’ बनकर उनकी आंखें नम कर दें। लेकिन ‘लवयापा’ जैसी फिल्में, जो न तो गानों में धमाल मचाती हैं, न ही दिल को छूने की कोशिश करती हैं वे सिनेमाघरों में क्यों बुलाई जाती हैं? खासकर तब, जब वे तमिल सिनेमा की “नकलची छाप” लिए हों और नायक-नायिका की एक्टिंग “नर्सरी रंगमंच” जैसी लगे?

फैंटम फिल्म्स की यह नई पेशकश, जिसमें आमिर खान के बेटे जुनैद खान को लॉन्च करने की जिद साफ झलकती है, असल में “बाप के नाम का सहारा और बेटे के अभिनय का अकाल” दिखाती है। 2022 की तमिल फिल्म ‘लव टुडे’ की यह रीमेक न सिर्फ मूल फिल्म के मकसद से भटक गई है, बल्कि हिंदी दर्शकों की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम करती है। कारण? एक ऐसी प्रेम कहानी जो न तो समाज से टकराती है, न दिल से जुड़ती है बस सेल्फी लेकर चलती रहती है!

‘लवयापा’  या ‘लव टुडे?

loveyapa Review आमिर खान प्रोडक्शंस की तरह ही, फैंटम फिल्म्स का नाम भी अब उन लोगों से जुड़ चुका है जो कंपनी छोड़कर जा चुके हैं। अनुराग कश्यप, विकास बहल और विक्रमादित्य मोटवानी के बिना, नई सीईओ सृष्टि बहल ने ‘लवयापा’ के साथ जो जोखिम उठाया है, वह “कच्ची स्क्रिप्ट पर पक्के दाव” जैसा लगता है। तमिल फिल्म ‘लव टुडे’ (2022) की रीमेक यह फिल्म एक ऐसी प्रेम कहानी बनाने की कोशिश करती है,

जहां नायक-नायिका के बीच बाधा न तो समाज है, न परिवार, बल्कि खुद उनकी अधूरी परवरिश और डिजिटल युग की विकृत आदतें। लेकिन सवाल यही है: क्या हिंदी दर्शक, जो या तो ‘एनिमल’ के गानों पर झूमते हैं या ’12वीं फेल’ की गंभीरता को सराहते हैं, इस ‘अधफंुकी’ रोमांस को स्वीकार करेंगे?

loveyapa Review: फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी दो युवाओं कबीर (जुनैद खान) और नैना (खुशी कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनका प्रेम “सेल्फ-सबोटाज” का शिकार है। कबीर पोर्नोग्राफी की लत में डूबा है और अपनी “शारीरिक इच्छाओं” को नैना के साथ शुद्ध रखने के लिए इसका सहारा लेता है। वहीं, नैना अपने पूर्व प्रेमी के साथ लॉन्ग ड्राइव का झूठ बोलकर कबीर से मिलने जाती है। यहां तक कि वह अपने पिता (आशुतोष राणा) से फोन छिपाने के लिए “मॉल कंपटीशन” जैसे झूठ गढ़ती है। नैना की बहन (ग्रुशा कपूर) और उसके मंगेतर (किकू शारदा) का साइड ट्रैक भी इसमें जोड़ा गया है, जो शारीरिक बनावट को लेकर सामाजिक प्रताड़ना झेलता है।

लेकिन, समस्या यह है कि फिल्म इन सभी धागों को एक साथ बुनने की बजाय उलझा देती है। जैसे निर्देशक अद्वैत चंदन ने कहा था, “हमने इसे आधुनिक प्रेम की मल्टीलेयर्ड समझदारी के तौर पर पेश किया है,” लेकिन असल में यह “ओवरस्मार्ट स्क्रिप्ट” सिर्फ कन्फ्यूजन पैदा करती है।

जुनैद की एक्टिंग नही लगी, स्टार जैसी?

loveyapa Review

loveyapa में जुनैद खान के बारे में सच्चाई यह है कि वे अभी हीरो बनने के लिए तैयार नहीं हैं। पिता आमिर खान ने उन्हें “जमीन से जुड़ा सितारा” बताया है, लेकिन स्क्रीन पर जुनैद की एक्सप्रेशन्स देखकर लगता है कि वे “अभिनय की जमीन” से भी उखड़े हुए हैं। हर डायलॉग के बाद उनका 30-सेकंड का मुस्कुराता हुआ पॉज (जैसे कि लाइन याद नहीं) दर्शकों को झुंझलाहट देता है। एक दृश्य में जब वे नैना से कहते हैं, “मैं पोर्न देखता हूं ताकि तुम्हारे साथ शरीफ बना रहूं,” तो यह उनकी डिलीवरी इतनी बेजान है कि लगता है कोई AI रोबोट स्क्रिप्ट पढ़ रहा हो।

खुशी कपूर की स्थिति भी बेहतर नहीं। वे कैमरे से आंख मिलाने में हिचकती नजर आती हैं, जैसे कि उन्हें “लाइट्स-कैमरा” का डर सता रहा हो। उनकी एक्टिंग का सबसे यादगार पल वह है जब वे अपने पिता से झूठ बोलते हुए “मुस्कुरा नहीं, बल्कि मुस्कुराहट का नकाब ओढ़ती” हैं।

इस मल्टीस्टारर कास्ट में सिर्फ किकू शारदा और तनविका पार्लीकर ही चमकते हैं। किकू का संघर्ष—एक ऐसे युवक का जो अपने शरीर के कारण ताने सहता है—फिल्म का सबसे ऑथेंटिक हिस्सा है। तनविका की “मोबाइल स्पाई” वाली भूमिका में एक ऐसी जिद्दीपन है जो दर्शकों का ध्यान खींचती है।

Technical team: ‘महाराज’ का मैजिक यहां क्यों गायब?

फिल्म की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ‘महाराज’ (2024) की सफलता का जादू फैंटम की इस फिल्म में गायब है। सिनेमैटोग्राफर ने शॉट्स को इतना “इंस्टाग्राम फिल्टर्ड” बना दिया है कि लगता है आप कोई प्रोमो रील देख रहे हों। संगीत (जिसमें “लवयापा एंथम” भी शामिल है) इतना भुला दिया जाने वाला है कि फिल्म खत्म होते ही याद नहीं रहता। संवाद? उदाहरण के लिए: “हर दो साल पर मोबाइल बदले जाते हैं, रिश्ते नहीं।” यह लाइन शायद व्हाट्सऐप फॉरवर्ड से उठा ली गई होगी।

‘लव’ का सियापा, दर्शकों का बोरियापा

‘लवयापा’ उस “नई जेनरेशन” के लिए बनाई गई है जो प्रेम को सोशल मीडिया ट्रेंड्स और सेल्फ-डिस्कवरी के बीच खोजती है। लेकिन, यह फिल्म न तो ‘लव स्टोरी’ (2021) की तरह रोमांटिक है, न ‘गली बॉय’ की तरह रॉ, और न ही ‘अशिकी 2’ की तरह इमोशनल। यह एक ऐसा “हाफ-बेक्ड केक” है जिसमें न तो स्वाद है, न बनावट। जुनैद खान को बड़े परदे पर लाने का यह प्रयास उनके पिता आमिर खान के करियर का “सबसे बड़ा गलत कदम” साबित हो सकता है।

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