Crime Beat Review: अगर बात वेब सीरीज की हो और उसमें पत्रकारिता और अपराध की दुनिया को दिखाने की कोशिश की जाए, तो दर्शकों को हमेशा कुछ नया देखने की उम्मीद रहती है। लेकिन, Zee5 की नई वेब सीरीज ‘क्राइम बीट’ इस उम्मीद पर खरी नहीं उतरती। ये सीरीज 15 साल पहले हुए दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की कहानी खोलने की कोशिश करती है, लेकिन कहानी के साथ-साथ निर्देशन भी बिखर जाता है।
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Crime Beat Review क्राइम और पत्रकारिता की दुनिया में उतरने की कोशिश
‘क्राइम बीट’ की कहानी एक अखबार और उसमें काम करने वाले क्राइम रिपोर्टर के इर्द-गिर्द घूमती है। इस सीरीज में मीडिया की दुनिया और उसके अंदर चलने वाले खेल को दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन यह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाती। पत्रकारिता में ‘बीट’ शब्द का इस्तेमाल किसी खास क्षेत्र की रिपोर्टिंग के लिए किया जाता है और ‘क्राइम बीट’ का मतलब अपराध और अपराधियों से जुड़ी रिपोर्टिंग होती है। लेकिन, इस सीरीज में क्राइम रिपोर्टिंग का असली रंग गायब नजर आता है।
Crime Beat Review कहानी और किरदारों की उलझन
इस सीरीज की कहानी के केंद्र में एक क्राइम रिपोर्टर अभिषेक है, जो अपने अखबार के लिए बड़ी खबरें निकालने की कोशिश करता है। लेकिन, जब वह एक बड़े नेता बिन्नी चौधरी से जुड़ी कहानी का खुलासा करता है, तो उसकी दुनिया ही बदल जाती है। अखबार के अंदरूनी राजनीति, नेताओं के दबाव और अपराध की दुनिया के खतरों से गुजरते हुए अभिषेक को समझ आता है कि सच लिखना इतना आसान नहीं है।
अभिनय में कोई दम नहीं
इस सीरीज में साकिब सलीम ने क्राइम रिपोर्टर की भूमिका निभाई है, लेकिन उनका अभिनय प्रभावित करने में असफल रहता है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और संवाद अदायगी में वह मजबूती नजर नहीं आती, जो एक क्राइम रिपोर्टर में होनी चाहिए। सबा आजाद भी अपनी भूमिका में कमजोर नजर आती हैं। उनका किरदार न तो कहानी में कोई मजबूती जोड़ता है और न ही उनके अभिनय में कोई प्रभाव दिखता है।
निर्देशन की नाकामी
इस सीरीज को दिग्गज निर्देशक सुधीर मिश्रा ने सजाया है, लेकिन यह उनके स्तर की सीरीज नहीं लगती। कहानी और पटकथा इतनी कमजोर है कि इसे देखकर पहले एपिसोड में ही पूरी सीरीज की कहानी का अंदाजा लग जाता है। संवाद इतने साधारण हैं कि किसी भी सीन में कोई असर छोड़ते नजर नहीं आते। पुलिस और अपराधियों की दुनिया को दिखाने में भी यह सीरीज कमजोर साबित होती है।
कुछ कलाकारों का अच्छा प्रदर्शन

हालांकि, इस सीरीज में कुछ कलाकार ऐसे हैं जिन्होंने अपने अभिनय से प्रभाव छोड़ा है। राजेश तैलंग ने अपने किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया है और उनकी स्क्रीन प्रेजेंस मजबूत नजर आती है। राजेश कदम ने एक फोटोग्राफर की भूमिका को अच्छे से निभाया है। वहीं, साई तम्हणकर और राहुल भट के किरदारों को और बेहतर लिखा जा सकता था, लेकिन मेकर्स ने उनकी काबिलियत का फायदा नहीं उठाया।
‘Crime Beat’ एक कमजोर कहानी और कमजोर निर्देशन के साथ आई एक वेब सीरीज है, जिसमें न तो पत्रकारिता की गहराई नजर आती है और न ही अपराध की दुनिया का असली चेहरा। साकिब सलीम और सबा आजाद के अभिनय में कोई दम नहीं है, और सुधीर मिश्रा का नाम भी इस सीरीज को कोई खास ऊंचाई नहीं दे पाया। अगर आप एक बेहतरीन क्राइम और पत्रकारिता पर आधारित सीरीज की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह आपको निराश कर सकती है।
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