Bad Girl Controversy: अनुराग कश्यप की नयी फिल्म Bad girl का टीजर रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा हो गया है। फिल्म निर्माता मोहन जी ने कश्यप पर “ब्राह्मण समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत करने” का आरोप लगाया है, जबकि अभिनेत्री शांति प्रिया ने निर्देशक के पक्ष में खुलकर बयान दिया है। आखिर क्यों इस फिल्म को लेकर विवाद शुरू हुआ? क्या है फिल्म की कहानी और आरोपों का आधार? आइए, पूरा मामला समझते हैं
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Bad Girl Controversy: फिल्म की कहानी क्या हैं?
27 जनवरी को रिलीज हुए टीजर के अनुसार, Bad Girl एक ब्राह्मण लड़की की कहानी है जो कॉलेज में दोस्ती और प्रेम की तलाश करती है। कथानक के मुताबिक, लड़की को बार-बार अपमानित किया जाता है, जिसके बाद वह घर छोड़कर “आजाद जिंदगी” जीने लगती है। हालाँकि, इसी प्लॉट को लेकर फिल्म निर्माता मोहन जी ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि “ब्राह्मण परिवारों की निजी जिंदगी को सार्वजनिक करना पुरानी प्रथा है, और यह फिल्म इसका नया उदाहरण है।
मोहन जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “वेत्रिमरन और अनुराग कश्यप से और क्या उम्मीद की जा सकती है? ब्राह्मण पिता-माता को कोसना इनका पुराना शगल है। अगर इतना ही जुनून है, तो अपने समुदाय की लड़कियों की कहानियाँ बनाएँ।
शांति प्रिया का पलटवार
मोहन जी के आरोपों के बाद अभिनेत्री शांति प्रिया ने अनुराग कश्यप का बचाव करते हुए एक लंबा पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा, “सिनेमा समाज की जटिलताओं को दर्शाने का जरिया है। Bad Girl जैसी फिल्मों का उद्देश्य रूढ़ियों को तोड़ना है, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाना।
शांति प्रिया ने आगे समझाया, “किसी ब्राह्मण लड़की (या किसी भी समुदाय के व्यक्ति) की कहानी दिखाना ‘हमला’ नहीं, बल्कि उनके संघर्षों को उजागर करना है। वेत्रिमरन और अनुराग सामाजिक मुद्दों पर बेबाक चर्चा के लिए जाने जाते हैं। इसे अपमान की नजर से देखने के बजाय, आत्मनिरीक्षण का मौका समझें।
विवाद की शरुआत कैसे हुई?
टीजर में ब्राह्मण परिवार की लड़की के “आधुनिक जीवनशैली” को दिखाया गया है। इसमें वह कॉलेज में लड़कों से दोस्ती करती है, डेट करती है, और पारंपरिक मानदंडों के खिलाफ जाती है। जब उसके रिश्ते टूटते हैं, तो वह घर छोड़कर एक “Bold” जीवन जीने लगती है। यही दृश्य विवाद का केंद्र बने हैं।
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि फिल्म “ब्राह्मण संस्कृति को स्टीरियोटाइप” करती है। एक यूजर ने लिखा, यह सिर्फ एक लड़की की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को गलत ढंग से पेश करने की साजिश है। वहीं, दूसरे समूह का कहना है कि यह नारीवादी संघर्ष” की अभिव्यक्ति है।
फिल्म फेस्टिवल में होगी प्रदर्शनी, दर्शकों की प्रतिक्रिया मिली
Bad Girl को 54वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ रॉटरडैम के ‘टाइगर कॉम्पटिशन’ सेक्शन में दिखाया जाएगा। फिल्म का निर्देशन वर्षा भरत ने किया है, जो पहले भी सामाजिक विषयों पर काम कर चुकी हैं। हालाँकि, भारत में रिलीज की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया मिश्रित है। एक ओर, कश्यप के फैंस फिल्म को “साहसिक और प्रासंगिक” बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग टीजर को “अनावश्यक प्रोवोकेटिव” करार दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, कला की आड़ में समुदायों को निशाना बनाना गलत है।
अनुराग कश्यप का रिकॉर्ड
अनुराग कश्यप की फिल्में अक्सर विवादों में घिरी रही हैं। ‘उग्रा’ और ‘मैनेजमेंट’ जैसी फिल्मों में भी उन पर “सांस्कृतिक संवेदनशीलता को नजरअंदाज करने के आरोप लगे थे। हालाँकि, कश्यप हमेशा से कहते आए हैं कि उनकी फिल्में “समाज का आईना” दिखाती हैं।
इस बारे में फिल्म समीक्षक राजीव मसन्द ने कहा, “अनुराग की फिल्में चर्चा तो कराती हैं, लेकिन कई बार वे सीमा पार कर जाती हैं। ‘बैड गर्ल’ का टीजर भी उसी रास्ते पर चलता दिख रहा है
मोहन जी vs अनुराग कश्यप
मोहन जी और अनुराग कश्यप के बीच तनाव नया नहीं है। 2020 में भी मोहन जी ने कश्यप की फिल्म ‘चोखेर बाली’ को लेकर आपत्ति जताई थी, जिसमें ब्राह्मण परिवार के रीति-रिवाजों को असहिष्णु दिखाया गया था। उनका आरोप है कि कश्यप और वेत्रिमरन जैसे निर्देशक जानबूझकर ब्राह्मण विरोधी एजेंडा चलाते हैं।
इस पर शांति प्रिया ने स्पष्ट किया, यह फिल्म किसी समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लड़कियों के संघर्षों के बारे में है जो पारंपरिक बंदिशों से जूझती हैं।
Bad Girl मूवी रिलीज कब होगी?
टीजर के विवाद के बाद अब सवाल यह है कि क्या फिल्म भारत में रिलीज हो पाएगी? सूत्रों के अनुसार, सेंसर बोर्ड ने फिल्म की स्क्रिप्ट को “संवेदनशील” करार दिया है और इसमें कुछ दृश्यों में कटौती की सिफारिश की है। हालाँकि, निर्माता इससे सहमत नहीं हैं।
एक्टिविस्ट समूह ‘ब्राह्मण एकता मंच’ ने फिल्म के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है और यूट्यूब से टीजर हटाने की मांग की है। वहीं, कश्यप के समर्थकों का कहना है कि अभिव्यक्ति की आजादी पर यह हमला है।
‘बैड गर्ल’ विवाद ने एक बार फिर सिनेमा और समाज के बीच के जटिल रिश्ते को उजागर किया है। जहाँ एक ओर निर्देशक इसे कलात्मक अभिव्यक्ति बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समुदाय इसे छवि धूमिल करने की कोशिश मान रहा है। फिल्म के रिलीज होने तक यह बहस जारी रहने की उम्मीद है।
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