महाकुंभ भगदड़: मौनी अमावस्या स्नान में अफरा-तफरी, 20+ श्रद्धालु की मृत्यु, जाने आखिर किस वजह से मची थी भगदड़!

महाकुंभ भगदड़: मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के दौरान महाकुंभ मेले में मंगलवार देर रात भारी भगदड़ मच गई, जिससे दर्जनों श्रद्धालु घायल हो गए। इस घटना ने दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक में भीड़ नियंत्रण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रात 1 से 2 बजे के बीच संगम नोज पर हुए इस हादसे में दर्जनों से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें महिलाएं और एक लोकल पत्रकार भी शामिल हैं। तथा अभी तक 20+ श्रद्धालु की मृत्यु की पुष्टि हुए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भगदड़ के दौरान सांस घुटने, बैरिकेड्स गिरने और चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। “लोग हिल भी नहीं पा रहे थे, बस चीख-पुकार मची थी,” एक श्रद्धालु ने बताया।

कैसे मची महाकुंभ भगदड़?

कैसे मची महाकुंभ भगदड़

मौनी अमावस्या स्नान का अध्यात्मिक महत्व बहुत ज्यादा है, जिससे इस दिन करोड़ों श्रद्धालु संगम पर स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस साल प्रशासन ने 80-100 मिलियन भक्तों के आने का अनुमान लगाया था, लेकिन हालात उस वक्त बिगड़ गए जब हजारों लोग मुख्य संगम घाट पर ही स्नान करने पर अड़ गए, जबकि प्रशासन ने 45 अन्य घाटों को भी स्नान के लिए खोला था।

स्पेशल ऑफिसर आकांक्षा राणा के मुताबिक, भगदड़ तब शुरू हुई जब संगम नोज पर बैरिकेड्स भीड़ के दबाव में टूट गए। “एक बैरिकेड गिरा और डोमिनो इफेक्ट की तरह लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मिनटों में स्थिति बेकाबू हो गई,” उन्होंने बताया।

पत्रकार, जो इस हादसे में घायल हुए, ने कहा, “हर कोई मुख्य घाट पर ही स्नान करना चाहता था। भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि महिलाएं बेहोश होने लगीं। चारों तरफ सिर्फ चीखें सुनाई दे रही थीं, लेकिन कोई हिल भी नहीं सकता था।”

श्रद्धालु सरोजिनी, जो अपने 60 लोगों के ग्रुप के साथ आई थीं, ने भावुक होते हुए बताया, “हम 9 लोग साथ थे, तभी धक्का-मुक्की शुरू हो गई। कुछ लोग गिर पड़े और भीड़ बस आगे बढ़ती गई। कोई रास्ता नहीं था, ऐसा लग रहा था जैसे चारों तरफ दीवारें बंद हो रही हों।”

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन इमरजेंसी एक्शन

भगदड़ के कुछ ही मिनटों में आपदा प्रबंधन टीम एक्टिव हो गई। 12 से ज्यादा एंबुलेंस घायलों को महाकुंभ अस्पताल ले गईं, जहां महिलाओं और बुजुर्गों की संख्या ज्यादा थी। NDRF और पुलिस ने भीड़ को घाट से हटाकर दूसरे स्नान घाटों पर भेजने का काम शुरू किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति की जानकारी ली और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एक घंटे में दो बार अपडेट मांगा। पीएम मोदी ने कहा कि “हमें भीड़ नियंत्रण के लिए ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी।” वहीं, सीएम योगी ने अतिरिक्त सुरक्षा बल और पुलिस की तैनाती के आदेश दिए।

सुबह तक स्थिति कुछ हद तक सामान्य हो गई, लेकिन श्रद्धालुओं में डर अब भी बना हुआ है। “स्नान फिर से शुरू हो गया है, लेकिन लोग अभी भी डरे हुए हैं,” एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया।

अखाड़ों का फैसला: अमृत स्नान स्थगित, संतों की अपील

इस भगदड़ के चलते 13 अखाड़ों ने अपना अमृत स्नान स्थगित कर दिया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “हमने फैसला किया है कि जब तक भीड़ नियंत्रित नहीं होती, तब तक अमृत स्नान नहीं करेंगे।”

संतों ने भी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे मुख्य घाट की बजाय अन्य घाटों पर स्नान करें। “संगम की पवित्रता सिर्फ एक जगह तक सीमित नहीं है। जहां जल स्वच्छ हो, वहीं स्नान करें,” महंत पुरी ने कहा।

महाकुंभ भगदड़ की मुख्य वजह

हालांकि भगदड़ की सीधी वजह बैरिकेड्स गिरना था, लेकिन इस घटना के पीछे गहरी प्रशासनिक खामियां भी उजागर हुईं। प्रशासन ने 45 घाटों की व्यवस्था की थी, लेकिन फिर भी श्रद्धालु सिर्फ मुख्य संगम घाट पर जाने को आतुर थे।

एक स्थानीय पुजारी ने बताया, “लोग मानते हैं कि संगम के सबसे नज़दीक स्नान करने से ज्यादा पुण्य मिलता है। यही सोच हर कुंभ में खतरा बन जाती है।”

इसके अलावा, सुरक्षा कर्मियों की संख्या भी कम थी। एक वॉलंटियर ने कहा, “रात की शिफ्ट में स्टाफ कम होता है और अचानक इतनी भीड़ संभालना मुश्किल हो गया।”

राजनीतिक बहस और सोशल मीडिया पर बवाल

इस घटना के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई। विपक्षी नेताओं ने ₹4,300 करोड़ के कुंभ बजट के बावजूद सुरक्षा में खामियां गिनाईं। हालांकि, प्रशासन ने अपना बचाव करते हुए कहा कि 30,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी और 200 से अधिक CCTV कैमरे पहले से ही तैनात थे।

सोशल मीडिया पर #PrayForKumbh ट्रेंड करने लगा। कुछ लोगों ने तेजी से बचाव कार्य होने की तारीफ की, तो कुछ ने सवाल उठाया, “आखिर कितनी और घटनाएं होंगी जब तक सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी?”

महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में आस्था और सुरक्षा दोनों का ध्यान रखना जरूरी है। इस हादसे ने एक बार फिर दिखाया कि श्रद्धालुओं की भीड़ को सही तरीके से मैनेज करना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

अगले कुछ दिनों में नई सुरक्षा गाइडलाइंस लागू की जाएंगी, लेकिन बड़ा सवाल यही है –क्या आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा?

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