Trump Tariff Impact on US Market 2025: शेयर मार्केट में भारी उथल-पुथल, क्या विकास दर पर भी पड़ेगा असर?

Trump Tariff Impact on US Market 2025: अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी एक बार फिर से सुर्खियों में है। जैसे ही इस नीति को दोबारा लागू करने की चर्चा शुरू हुई, अमेरिकी शेयर बाजारों में जबरदस्त हलचल देखी गई। सोमवार का दिन बाजार के लिए काफी अनिश्चितता भरा रहा। कारोबार की शुरुआत में गिरावट के साथ बाजार खुले, लेकिन बाद में अचानक रफ्तार पकड़ी, जिससे निवेशक भी हैरान रह गए।

S&P 500 इंडेक्स दिन की शुरुआत में ही 4.7% की गिरावट के साथ खुला। कुछ ही देर में इसमें 3.4% की तेजी भी देखने को मिली। यह तेजी पिछले कुछ वर्षों में सबसे तेज़ मानी जा रही है। हालांकि यह तेजी ज्यादा देर नहीं टिकी और कुछ ही घंटों में बाजार फिर से गिरावट की ओर बढ़ गया

Trump Tariff Impact on US Market 2025: शेयर बाजार में भारी उठापटक

Dow Jones Industrial Average ने भी सुबह 736 अंकों की गिरावट के साथ ट्रेडिंग शुरू की। Nasdaq Composite ने करीब 1.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ ओपनिंग की। लेकिन थोड़ी ही देर में बाजार में तेजी लौटी और Dow 1,700 अंकों की गिरावट से उबरकर 900 अंकों की मजबूती तक पहुंच गया।

बाजार में यह उतार-चढ़ाव इसलिए भी देखने को मिला क्योंकि निवेशकों के बीच यह चर्चा जोरों पर थी कि ट्रंप अपने टैरिफ नियमों में कुछ बदलाव कर सकते हैं। हालांकि, इस विषय पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी, लेकिन फिर भी संभावनाओं के बीच मार्केट का मूड बार-बार बदलता रहा।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप की टैरिफ नीति ने बाजार को प्रभावित किया हो। 2018-2019 में भी जब ट्रंप ने चीन और अन्य देशों पर टैरिफ लगाए थे, तब भी शेयर बाजारों में बड़ी उथल-पुथल हुई थी। इस बार फर्क ये है कि निवेशक पहले से अधिक सतर्क हैं, क्योंकि टैरिफ का सीधा असर अमेरिकी बिजनेस कॉस्ट, सप्लाई चेन और कंज्यूमर खर्च पर पड़ सकता है।

टैरिफ से बढ़ेगी महंगाई, घटेगा विकास

JP Morgan के सीईओ जेमी डिमन ने सोमवार को शेयरधारकों को लिखे अपने पत्र में साफ कहा कि अगर टैरिफ नीति लागू होती है, तो इससे महंगाई बढ़ सकती है और मंदी की आशंका भी गहराएगी। उन्होंने कहा कि “टैरिफ की लिस्ट लंबी होती जा रही है, और इसका असर धीरे-धीरे अमेरिका की इकोनॉमिक ग्रोथ पर दिखाई देगा।”

डिमन के अनुसार, भले ही टैरिफ सीधे तौर पर मंदी का कारण न बनें, लेकिन इनकी वजह से सप्लाई चेन की लागत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं के लिए सामान महंगे हो सकते हैं। इससे मांग में गिरावट आ सकती है, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक होती है।

ट्रंप के इस टैरिफ स्टैंड को कुछ विशेषज्ञ वैश्वीकरण यानी ग्लोबलाइजेशन पर हमला मानते हैं। उनका मानना है कि अमेरिका खुद एक ग्लोबल पावर है और उसकी नीतियों का असर पूरी दुनिया की इकॉनमी पर पड़ता है। ऐसे में टैरिफ लगाने से केवल घरेलू बाजार नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं।

फेडरल रिजर्व पर फिर टिकी उम्मीदें

इस पूरे घटनाक्रम के बीच अब निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर टिक गई है। इतिहास गवाह है कि जब भी अमेरिकी मार्केट संकट में रहा है, फेड ने हस्तक्षेप कर हालात संभाले हैं। 2008 के वित्तीय संकट के दौरान और 2020 में कोरोना महामारी के वक्त भी फेडरल रिजर्व ने इकोनॉमी को संभालने के लिए कई अहम कदम उठाए थे।

अब फिर से यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगर टैरिफ के चलते बाजार में अनिश्चितता और बढ़ी, तो फेडरल रिजर्व एक बार फिर इंटरेस्ट रेट में बदलाव, क्वांटिटेटिव ईज़िंग जैसे विकल्पों का सहारा ले सकता है।

हालांकि, यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि ट्रंप प्रशासन टैरिफ पॉलिसी को किस हद तक लागू करता है और अमेरिका के व्यापारिक साझेदार इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।

निष्कर्ष

Trump की टैरिफ नीति से अमेरिकी शेयर बाजार में भारी अस्थिरता देखी जा रही है। ये अस्थिरता सिर्फ मार्केट तक सीमित नहीं रह सकती — इसका असर इकोनॉमिक ग्रोथ, महंगाई और ग्लोबल ट्रेड पर भी पड़ेगा। आने वाले हफ्तों में ये देखना अहम होगा कि क्या ट्रंप टैरिफ पर सख्त रुख अपनाते हैं या इसमें कोई नरमी लाते हैं। फिलहाल निवेशकों की नजर फेडरल रिजर्व की अगली चाल पर बनी हुई है।

इन्हें भी पढें!