महाकुंभ संगम स्नान के लिए कम भीड़ वाले स्थान, भोजन व्यवस्था और यात्रा टिप्स, जाने

महाकुंभ संगम स्नान: महाकुंभ में श्रद्धालुओं का जनसैलाब जारी है। अब तक 15 करोड़ से अधिक लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं, और मौनी अमावस्या पर भी 10 करोड़ श्रद्धालुओं आने का अनुमान था। इस भीड़ के बीच, नए आने वाले भक्तों के मन में कई सवाल उठते हैं: संगम स्नान के लिए कब और कहाँ जाएँ? यात्रा की योजना कैसे बनाएँ? खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था कैसी है? आइए, इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जानते हैं। 

महाकुंभ संगम स्नान महत्वपूर्ण तिथियाँ

महाकुंभ में 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (वसंत पंचमी) को प्रमुख अमृत स्नान होंगे। इसके बाद 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को भी बड़े स्नान संपन्न होंगे। प्रशासन के अनुसार, इन तिथियों पर 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम पहुँचने की संभावना है। अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं, तो सप्ताहांत या प्रमुख तिथियों को छोड़कर यात्रा की योजना बनाएँ। उदाहरण के लिए, वसंत पंचमी के बाद फरवरी के मध्य तक भीड़ में कमी आने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे “अखाड़ा मार्ग पर भीड़ के दबाव से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। 

प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए AI-Enabled कैमरों और NSG कमांडो की तैनाती की है। संगम नोज क्षेत्र में बैरिकेड्स लगाए गए हैं, और घाटों पर सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई गई है। इसके बावजूद, देर रात संगम नोज के पास भगदड़ की घटना ने सभी को सतर्क कर दिया है। ऐसे में, श्रद्धालुओं को अफवाहों से दूर रहने और प्रशासनिक अपडेट पर भरोसा करने की सलाह दी जा रही है। 

महाकुंभ की यात्रा का सही तरीका

महाकुंभ तक पहुँचने के लिए ट्रेन सबसे सुविधाजनक विकल्प है। प्रयागराज जंक्शन के अलावा, श्रद्धालुओं को छिवकी और सूबेदारगंज स्टेशन पर उतारा जा रहा है। यहाँ से मेला क्षेत्र तक पहुँचने के लिए निशुल्क शटल सेवाएँ चलाई जा रही हैं। रेलवे प्रशासन ने 50 से अधिक अतिरिक्त ट्रेनें चलाई हैं, जिनकी टाइमिंग ऑनलाइन चेक की जा सकती है। 

हवाई मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इलाहाबाद एयरपोर्ट से सिविल लाइंस या कोठी पार्क तक कैब बुक करना बेहतर होगा। मेला क्षेत्र के लिए सीधी कैब उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए शहर के बीचोंबीच उतरकर स्थानीय ऑटो-रिक्शा या इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करें। ध्यान रखें कि प्रमुख स्नान दिवसों पर एयरपोर्ट से टैक्सी का किराया 2-3 गुना तक बढ़ सकता है। 

सड़क मार्ग से आने वालों को NH-19 और NH-30 पर भारी जाम का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी के दिन यात्रा में 6-8 घंटे का विलंब हो सकता है। ऐसे में, अपनी यात्रा रात के समय प्लान करें या फिर अतिरिक्त समय का हिसाब रखें। 

महाकुंभ में स्नान का सही समय और स्थान

महाकुंभ में स्नान का सही समय और स्थान

संगम स्नान के लिए रात 10:30 बजे से सुबह 4 बजे तक का समय सबसे अनुकूल माना जा रहा है। इस अवधि में भीड़ कम होती है, और सुरक्षा कर्मी पूरी तरह सक्रिय रहते हैं। प्रयागराज के जिलाधिकारी ने बताया कि “इस समय स्नान करने वालों को विशेष प्रबंधनों के तहत घाटों तक पहुँचाया जाता है।

संगम स्थल पर पहुँचने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ता है। यहाँ ₹1,300 से ₹5,000 तक का खर्च आ सकता है, जो नाव के आकार और समय पर निर्भर करता है। हालाँकि, भीड़ और लंबी कतारों के कारण संगम स्पॉट तक पहुँचना टेढ़ी खीर है। ऐसे में, श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे दरियाबाग घाट, सरस्वती घाट या झूँसी घाट पर स्नान करें। ये स्थान संगम से थोड़ी दूरी पर हैं, लेकिन यहाँ भीड़ कम और सुविधाएँ अधिक हैं।

महाकुंभ में खाने-पीने की व्यवस्था कैसे करें!

मेला क्षेत्र में भोजन की व्यवस्था सीमित है। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे पैक्ड फूड जैसे पूड़ी-सब्जी, पराठे या ड्राई फ्रूट्स अपने साथ ले जाएँ। संगम तक पहुँचने वाले 7-8 किलोमीटर के पैदल मार्ग पर भोजन के विकल्प न के बराबर हैं। मेला क्षेत्र में हल्दीराम का स्टॉल और हनुमान मंदिर के पास सात्विक भोजनालय उपलब्ध हैं, लेकिन यहाँ लंबी कतारें लगती हैं। 

स्थानीय स्टॉल्स पर चाट-पकौड़ी, भुट्टा और गन्ने का जूस मिलता है, लेकिन इन्हें खरीदते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। प्रशासन ने मेला क्षेत्र में 100 से अधिक RO वाटर प्वाइंट स्थापित किए हैं, जहाँ से शुद्ध पानी लिया जा सकता है। साथ ही, घाटों के निकट भंडारे आयोजित किए जा रहे हैं, जहाँ निशुल्क भोजन वितरित किया जा रहा है। 

महाकुंभ ठहरने की व्यवस्था और सुरक्षा उपाय

महाकुंभ में ठहरने के लिए टेंट सिटी और नजदीकी शहरों जैसे वाराणसी, कानपुर में होटल बुक करना बेहतर विकल्प है। मेला क्षेत्र में टेंट्स की संख्या सीमित है, और इनमें बुनियादी सुविधाएँ ही उपलब्ध हैं। प्रशासन ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 112 और मेडिकल कैंप स्थापित किए हैं, जहाँ घायलों को तत्काल सहायता मिल सकती है। 

सुरक्षा के लिए NSG कमांडो संगम नोज पर तैनात हैं, और पुलिस टीमें घाटों पर निगरानी कर रही हैं। श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे “कीमती सामान घर पर छोड़ें, सादे कपड़े पहनें, और अपना पहचान पत्र साथ रखें।

महाकुंभ आस्था का महापर्व है, लेकिन यहाँ सुरक्षा और अनुशासन का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, अफवाहों से दूर रहें, और संयम बनाए रखें। संगम स्नान के दौरान 5-7 मिनट से अधिक समय न बिताएँ, ताकि अन्य भक्तों को भी अवसर मिले। 

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