Housefull 5 Review– अक्षय कुमार की चर्चित फ्रेंचाइज़ी ‘हाउसफुल’ की पांचवीं किस्त सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. सालों से इस फ्रेंचाइज़ी को लेकर दर्शकों की एक उम्मीद बन चुकी थी, कि यहां उन्हें मनोरंजन, हंसी और कॉमेडी का बेहतरीन डोज़ मिलेगा. लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हो सका. फिल्म में स्टारकास्ट तो बड़ी है, नाम भी भारी भरकम हैं, लेकिन कंटेंट और प्रेजेंटेशन दोनों पूरी तरह से फेल हैं.
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Housefull 5 Review: हाउसफुल 5 की कहानी
फिल्म की शुरुआत होती है रंजीत के 100वें जन्मदिन से, लेकिन खुशी के इस माहौल में अचानक उसका निधन हो जाता है. यहीं से कहानी अजीब मोड़ लेती है, जहां एक के बाद एक तीन ‘जॉली’ एंट्री करते हैं और सभी दावा करते हैं कि वही असली हैं. एक डॉक्टर की हत्या हो जाती है और सस्पेंस खड़ा किया जाता है कि असली जॉली कौन है और कातिल कौन?
यहां तक तो ठीक था, लेकिन कहानी जिस तरह से आगे बढ़ती है, वह पूरी तरह से बेतुकी और अनावश्यक लगती है. किसी भी सीन में लॉजिक की कमी दिखाई देती है और दर्शक समझ नहीं पाते कि फिल्म कॉमेडी दिखा रही है या कन्फ्यूजन फैला रही है.
कॉमेडी के नाम पर सिर्फ शोर, ऊटपटांग हरकतें और डबल मीनिंग डायलॉग्स परोस दिए गए हैं. जो दर्शक इस फिल्म में कुछ नया देखने की उम्मीद लेकर आए थे, उनके लिए ये फिल्म पूरी तरह से निराशाजनक है.
हाउसफुल 5 का डायरेक्शन
तरुण मनसुखानी ने इस फिल्म का निर्देशन किया है और साफ नजर आता है कि उन्होंने इस पर गंभीरता से काम नहीं किया. फ्रेंचाइज़ी को एक स्तर पर बनाए रखने के लिए डायरेक्शन में एक सोच और पकड़ होनी चाहिए, लेकिन यहां वो पूरी तरह से गायब है.
फिल्म में जिस तरह के सीन दिखाए गए हैं, वो न तो दर्शकों को हंसाते हैं और न ही बांध कर रख पाते हैं. कुछ जगहों पर जबरदस्ती के पंच और घिसे-पिटे जोक्स से फिल्म बोझिल लगने लगती है.
कहानी में एक मजबूत प्लॉट नहीं होने के कारण डायरेक्शन भी बिखरा हुआ दिखता है. कई बार लगता है कि बिना स्क्रिप्ट के ही फिल्म बना दी गई हो.
हाउसफुल 5 में एक्टिंग
स्टारकास्ट भले ही लंबी हो, लेकिन एक्टिंग के नाम पर सिर्फ ओवरएक्टिंग ही नजर आती है. अक्षय कुमार जो पहले इस फ्रेंचाइज़ी की जान माने जाते थे, अब खुद थके-थके से दिखते हैं. उनके डायलॉग डिलीवरी में पहले जैसी ऊर्जा नजर नहीं आती.
रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन, फरदीन खान, श्रेयस तलपड़े जैसे कलाकार सिर्फ अपने चेहरे बिगाड़ने और ऊल-जुलूल हरकतें करने में लगे रहते हैं.
नाना पाटेकर जैसे सीनियर एक्टर का होना थोड़ी राहत देता है. उन्होंने कहीं-कहीं पर अपने एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलीवरी से प्रभाव छोड़ा है, लेकिन जब पूरी फिल्म ही दिशाहीन हो तो एक्टर कितना भी अच्छा क्यों न हो, कुछ खास कर नहीं पाता.
जैकलीन फर्नांडिस, नरगिस फाखरी, चित्रांगदा सिंह और अन्य एक्ट्रेसेज़ फिल्म में सिर्फ ग्लैमर का तड़का लगाने तक सीमित रह जाती हैं. स्क्रिप्ट ने उन्हें कुछ करने का मौका ही नहीं दिया.
हाउसफुल 5 का म्यूज़िक और टेक्निकल पार्ट
म्यूज़िक की बात करें तो कोई भी गाना ऐसा नहीं है जो याद रह जाए. पुराने हाउसफुल गानों जैसा चार्म कहीं नजर नहीं आता. बैकग्राउंड स्कोर भी काफी औसत है.
सिनेमैटोग्राफी, एडिटिंग और लोकेशन के मामले में फिल्म ठीक-ठाक है, लेकिन जब कंटेंट ही कमजोर हो, तो टेक्निकल टीम भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकती.
हाउसफुल 5 में वर्डिक्ट
अगर आप हाउसफुल फ्रेंचाइज़ी के कट्टर फैन हैं, तो शायद आप इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं. लेकिन अगर आप कॉमेडी में दिमाग भी चाहते हैं, ह्यूमर ढंग का हो, किरदारों में जान हो, और कहानी में जुड़ाव हो, तो फिर हाउसफुल 5 आपके लिए नहीं है.
फिल्म सिर्फ इस उम्मीद पर बनाई गई है कि दर्शक सिर्फ नाम देखकर टिकट खरीद लेंगे. लेकिन आज का दर्शक कहानी और कंटेंट में भी क्वालिटी देखना चाहता है.
जहां पिछली कुछ हाउसफुल फिल्मों में कुछ सीन्स वाकई में हंसाते थे, वहीं ये फिल्म सिर्फ थकाऊ बनकर रह जाती है.
रेटिंग: 1.5 स्टार
डायरेक्टर: तरुण मनसुखानी
स्टार कास्ट: अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन, नाना पाटेकर, संजय दत्त, फरदीन खान, श्रेयस तलपड़े, जैकलीन फर्नांडिस, चित्रांगदा सिंह, जैकी श्रॉफ, जॉनी लीवर, डिनो मोरिया, सौंदर्या शर्मा, सोनम बाजवा और अन्य अंत में इतना ही कहेंगे – नाम में हाउसफुल है, लेकिन फिल्म में कंटेंट जीरो. दर्शकों को अच्छी कॉमेडी की भूख है, और ये फिल्म वो भूख मिटाने में पूरी तरह से नाकाम रही है.
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