Corporate Bond vs Fixed Deposit : क्या है आपके लिए सही ?

Corporate Bond vs Fixed Deposit : आजकल जब निवेश की बात आती है, तो बहुत से लोग पारंपरिक विकल्पों जैसे फिक्स्ड डिपॉज़िट (Fixed Deposit) से हटकर नए रास्ते तलाश रहे हैं। एक ऐसा ही रास्ता है कॉर्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bond), जो निवेशकों को न केवल बेहतर रिटर्न दे रहा है, बल्कि सेबी (SEBI) के नए नियमों की वजह से अब यह आम आदमी की पहुँच में भी आ गया है। जहाँ एक तरफ एफडी को हमेशा से सुरक्षा का प्रतीक माना गया है, वहीं अब निवेशक सुरक्षित निवेश की नई राह की तलाश में हैं। इस लेख में हम इसी बदलाव, कॉर्पोरेट बॉन्ड के फायदों और जोखिमों, और यह क्यों निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनता जा रहा है, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

सुरक्षित निवेश की नई राह: कॉर्पोरेट बॉन्ड क्यों बन रहा है पहली पसंद ?

एक समय था जब भारतीय परिवारों के लिए बचत का सबसे पसंदीदा और विश्वसनीय साधन बैंक में फिक्स्ड डिपॉज़िट था। इसका मुख्य कारण था इसकी सरलता और निश्चित रिटर्न। लेकिन पिछले कुछ सालों में, ब्याज दरों में लगातार कमी और बढ़ती महंगाई ने एफडी के वास्तविक रिटर्न को काफी कम कर दिया है। इसी कारण, निवेशकों का एक बड़ा वर्ग अब ऐसे विकल्पों की तलाश में है, जो एफडी से थोड़ा बेहतर रिटर्न दे सकें, लेकिन साथ ही उनमें बहुत ज्यादा जोखिम भी न हो। यहीं पर सुरक्षित निवेश की नई राह के रूप में कॉर्पोरेट बॉन्ड ( Corporate Bond) का उदय होता है। इसलिए हम Corporate Bond vs Fixed Deposit में तुलना करके देखेंगे की कोनसा आपके लिए सही है l

Corporate Bond vs Fixed Deposit

कॉर्पोरेट बॉन्ड ( Corporate Bond ) क्या हैं ?

आसान भाषा में, जब कोई कंपनी अपने व्यवसाय को बढ़ाने या किसी नए प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए पैसे जुटाना चाहती है, तो वह आम जनता से उधार लेती है। इसी उधार को कॉर्पोरेट बॉन्ड Corporate Bondकहते हैं। आप जब एक कॉर्पोरेट बॉन्ड खरीदते हैं, तो आप वास्तव में उस कंपनी को एक निश्चित समय के लिए पैसा उधार दे रहे होते हैं। इसके बदले में, कंपनी आपको नियमित अंतराल पर (जैसे हर छह महीने या साल में एक बार) ब्याज का भुगतान करती है और जब बॉन्ड की अवधि पूरी हो जाती है, तो आपको आपकी मूल राशि वापस कर देती है।

Corporate Bond vs Fixed Deposit : कॉर्पोरेट बॉन्ड बनाम फिक्स्ड डिपॉज़िट

यह समझने के लिए कि निवेशक क्यों इस विकल्प की ओर मुड़ रहे हैं, हमें दोनों के बीच के प्रमुख अंतरों को समझना होगा:

  • जोखिम: एफडी को बेहद सुरक्षित माना जाता है क्योंकि बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में भी ₹5 लाख तक की आपकी जमा राशि का बीमा होता है। कॉर्पोरेट बॉन्ड में जोखिम होता है। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो आपके पैसे डूब सकते हैं। लेकिन, उच्च रेटिंग वाले बॉन्ड (जैसे AAA या AA) में यह जोखिम बहुत कम होता है। सुरक्षित निवेश की नई राह में जोखिम का आकलन करना बहुत ज़रूरी है।
  • रिटर्न (ब्याज): कॉर्पोरेट बॉन्ड अक्सर बैंक एफडी की तुलना में 1-3% तक ज्यादा रिटर्न देते हैं। यह रिटर्न बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी की साख (क्रेडिट रेटिंग) पर निर्भर करता है। उच्च रेटिंग वाली कंपनियाँ कम जोखिम वाली मानी जाती हैं और कम रिटर्न देती हैं, जबकि कम रेटिंग वाली कंपनियाँ अधिक रिटर्न देती हैं, लेकिन उनमें जोखिम भी अधिक होता है।
  • लिक्विडिटी (तरलता): कॉर्पोरेट बॉन्ड को आप शेयर बाज़ार में खरीद और बेच सकते हैं। इसका मतलब है कि आप मैच्योरिटी से पहले भी अपना पैसा निकाल सकते हैं, जो कि एफडी में संभव नहीं है। एफडी तोड़ने पर आपको ब्याज का नुकसान होता है, जबकि बॉन्ड को बाज़ार में बेचकर आप अपनी ज़रूरत पूरी कर सकते हैं।
  • निवेश की न्यूनतम राशि: पहले कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश के लिए काफी बड़ी राशि की ज़रूरत होती थी। लेकिन सेबी के नए नियमों ने इसे आम निवेशकों के लिए आसान बना दिया है। अब आप मात्र ₹10,000 जैसी छोटी राशि से भी शुरुआत कर सकते हैं। इस कदम ने सुरक्षित निवेश की नई राह को लाखों निवेशकों के लिए खोल दिया है।

Corporate Bond vs Fixed Deposit

विशेषताकॉर्पोरेट बॉन्डफिक्स्ड डिपॉज़िट (FD)
रिटर्नआमतौर पर एफडी से ज्यादा रिटर्न देते हैं। इनका रिटर्न कंपनी की क्रेडिट रेटिंग पर निर्भर करता है।रिटर्न तय और निश्चित होता है।
जोखिमएफडी की तुलना में जोखिम थोड़ा ज्यादा होता है। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो आपको अपनी मूल राशि खोने का जोखिम होता है।बहुत कम जोखिम होता है, क्योंकि बैंक दिवालिया होने पर भी आपकी ₹5 लाख तक की जमा राशि का बीमा होता है (DICGC द्वारा)।
लिक्विडिटीआप इन्हें सेकेंडरी मार्केट में कभी भी बेच सकते हैं, लेकिन खरीददार मिलने पर ही। इससे आपको मैच्योरिटी से पहले भी पैसा निकालने की सुविधा मिल जाती है।एफडी को समय से पहले तोड़ने पर आपको ब्याज का नुकसान हो सकता है।
निवेश की शुरुआतSEBI के नए नियमों के बाद ₹10,000 जैसी छोटी राशि से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।₹1000 जैसे छोटे अमाउंट से भी शुरू किया जा सकता है।

क्यों बढ़ रही है कॉर्पोरेट बॉन्ड Corporate Bond में दिलचस्पी ?

  • ज्यादा रिटर्न: कॉर्पोरेट बॉन्ड अक्सर बैंक एफडी की तुलना में बेहतर ब्याज दर प्रदान करते हैं, खासकर जब ब्याज दरें कम हों।
  • सेबी का नया नियम: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने खुदरा निवेशकों के लिए कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश को आसान और सुलभ बना दिया है। अब ₹1 लाख की न्यूनतम निवेश राशि को घटाकर ₹10,000 कर दिया गया है। इससे छोटे निवेशक भी इस बाज़ार में आसानी से आ सकते हैं।
  • पारदर्शिता: SEBI ने कंपनियों के लिए बॉन्ड के बारे में सभी जानकारी (जैसे कीमत, ब्याज दर, और जोखिम रेटिंग) सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। इससे निवेशकों के लिए निर्णय लेना आसान हो गया है।
  • डायवर्सिफिकेशन: कॉर्पोरेट बॉन्ड आपके निवेश पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करते हैं। यह एक ऐसा निवेश है जो इक्विटी (शेयर बाज़ार) के जोखिम को कम करने में मदद करता है और एफडी से ज्यादा रिटर्न देता है।
Corporate Bond vs Fixed Deposit

क्या कॉर्पोरेट बॉन्ड Corporate Bond सबके लिए सही हैं ?

कॉर्पोरेट बॉन्ड हर निवेशक के लिए सही नहीं हो सकते हैं। अगर आप पूरी तरह से जोखिम मुक्त निवेश चाहते हैं, तो एफडी आपके लिए बेहतर विकल्प है। लेकिन अगर आप एफडी से थोड़ा ज्यादा जोखिम लेकर बेहतर रिटर्न कमाना चाहते हैं, तो कॉर्पोरेट बॉन्ड एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

निवेश करने से पहले, आपको कंपनी की क्रेडिट रेटिंग (जैसे CRISIL, ICRA द्वारा दी गई रेटिंग) ज़रूर देखनी चाहिए। AAA या AA जैसी उच्च रेटिंग वाली कंपनियां कम जोखिम वाली मानी जाती हैं, जबकि कम रेटिंग वाली कंपनियों में ज्यादा जोखिम होता है, लेकिन वे बेहतर रिटर्न भी दे सकती हैं।

कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने का सबसे आसान तरीका ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म (जो SEBI-रजिस्टर्ड हों) या स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से है। इसके लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना ज़रूरी है।

  • निवेश से पहले क्या करें? सबसे पहले, जिस कंपनी का बॉन्ड आप खरीदना चाहते हैं, उसकी क्रेडिट रेटिंग ज़रूर देखें। AAA, AA+ या AA रेटिंग वाले बॉन्ड आमतौर पर कम जोखिम वाले होते हैं।
  • पोर्टफोलियो में विविधता: कॉर्पोरेट बॉन्ड आपके निवेश पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करने का एक शानदार तरीका है। यह इक्विटी (शेयर बाज़ार) के उतार-चढ़ाव से आपके पोर्टफोलियो को बचाता है और निश्चित आय देता है। इसे अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बनाना सुरक्षित निवेश की नई राह का एक स्मार्ट तरीका है। Corporate Bond vs Fixed Deposit से आपको क्या समझ आया और आप किस और अपना इन्वेस्टमेंट करना चाहते है इसे आपको तय करना है l

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