Bhopal Cyber Thagi: टीकमगढ़ में साइबर ठगी से खड़ा किया साम्राज्य, 3 आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस ने की 25 लाख की डील, जाने पूरा मामला!

Bhopal Cyber Thagi: भोपाल में एक बड़े साइबर ठगी रैकेट और पुलिस अधिकारियों पर 25 लाख की रिश्वत लेने का मामला सामने आया है। एएसआई पवन रघुवंशी को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया, लेकिन जांच में सामने आया कि यह रकम साइबर ठगी के आरोपियों को बचाने के लिए 25 लाख की डील का हिस्सा थी। इस पूरे मामले में टीकमगढ़ के पार्षद अंशुल उर्फ मोना जैन की भी भूमिका उजागर हुई है, जो ठगों और पुलिस अधिकारियों के बीच बिचौलिए की भूमिका निभा रहा था। इस केस में कई रसूखदार लोगों के नाम सामने आ रहे हैं।

Bhopal Cyber Thagi मुख्य आरोपी और उनकी अवैध कमाई

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भोपाल साइबर ठगी के सभी आरोपी

मुख्य आरोपी अफजल खान के साले मुईन खान, उसके भाई वसीम खान और अफजल की पत्नी जाहिदा को बचाने के लिए रिश्वत मांगी गई थी। जांच में सामने आया कि साइबर ठगी से कमाए करोड़ों रुपए अफजल ने मुईन के नाम से टीकमगढ़ में निवेश कर रखे हैं। मुईन खान ने इस काली कमाई से क्रशर प्लांट और कॉलोनियों का निर्माण किया। चार साल पहले एक कुरियर कंपनी में काम करने वाला मुईन अब टीकमगढ़ के प्रभावशाली बिल्डरों में गिना जाता है। वह महंगी कारों में घूमता है और हाल ही में मऊचुंगी इलाके में एक बड़ा बंगला बनवाया है।

सियासत से भी रहा है नाता

मुईन खान का सियासत से भी गहरा नाता है। उसने बीजेपी के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ा था, हालांकि वह हार गया। लेकिन इसके बावजूद उसका दबदबा कम नहीं हुआ। टीकमगढ़ में उसके रसूख और पुलिस से सांठगांठ के चलते वह लंबे समय से अपने अवैध धंधों को संचालित कर रहा था।

शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी

भोपाल के प्रभात चौराहे स्थित एक बिल्डिंग में AUDIOLOGY ADVANCE STOCK PVT LTD नामक कॉल सेंटर चल रहा था। यहां 26 युवक-युवतियां सोशल मीडिया पर शेयर बाजार में निवेश से संबंधित विज्ञापन डालते थे। कॉल करने वालों को आकर्षक रिटर्न का लालच देकर उनसे ठगी की जाती थी। पुलिस ने 23 फरवरी को इस कॉल सेंटर पर छापा मारा और संचालक अफजल खान के बेटे अमान को गिरफ्तार किया, लेकिन उसे बाद में छोड़ दिया गया। मामला बढ़ने के बाद अफजल और उसकी बेटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद अफजल को गिरफ्तार कर लिया गया।

ASI पवन रघुवंशी को बर्खास्त करने की तैयारी

इस पूरे मामले में एएसआई पवन रघुवंशी की संलिप्तता सामने आने के बाद उसे बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अन्य तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी विभागीय जांच जारी है। इस कार्रवाई के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपी पवन रघुवंशी ने रिश्वत के पांच लाख रुपए अपने घर में रखे थे, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया।

मुईन को बचाने के लिए भोपाल पहुंचा पार्षद

कुछ दिन पहले ऐशबाग थाने के तत्कालीन प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल और उनकी टीम मुईन की तलाश में टीकमगढ़ पहुंची थी। वहां मुईन के महंगे शौक और संपत्तियों की जानकारी मिलने पर थाना प्रभारी का लालच बढ़ गया। मुईन के काले कारोबार का सबसे बड़ा राजदार पार्षद अंशुल उर्फ मोना जैन था, जिसने थाना प्रभारी से संपर्क किया और मुईन व उसके रिश्तेदारों को केस से बचाने की पेशकश की।

कैसे हुई रिश्वत की सौदेबाजी

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रिश्वत लेने वाले मुख्य आरोपी मनोज सिंह और धर्मेंद्र सिंह

मुईन को बचाने के बदले मोटी रकम मिलने की उम्मीद में थाना प्रभारी ने मोना जैन को एएसआई पवन रघुवंशी के पास भेजा। भोपाल में एएसआई मनोज सिंह, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह और पवन रघुवंशी ने मिलकर तीन नाम केस से हटाने के एवज में 25 लाख रुपए की मांग की। मुईन ने रकम देकर मामला रफा-दफा करने की सहमति दी और सौदा तय हो गया।

डील लीक होने के बाद बड़ी कार्रवाई

इसी बीच सौदेबाजी की सूचना लीक हो गई। पुलिस की टीम ने भोपाल में पवन रघुवंशी के घर पर छापा मारा और रिश्वत की रकम बरामद कर ली। हालांकि, कार्रवाई के दौरान एएसआई पवन रघुवंशी पुलिस टीम को चकमा देकर फरार हो गया। मनोज और धर्मेंद्र भी अंडरग्राउंड हो चुके हैं। वहीं, रिश्वत देने वाला अंशुल उर्फ मोना भी फरार है।

मुईन पर 19 संगीन अपराध दर्ज

मुईन खान पर टीकमगढ़ के विभिन्न थानों में 19 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या का प्रयास, मारपीट, अड़ीबाजी, लूट, चाकूबाजी और सट्टा जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। मुईन टीकमगढ़ का लिस्टेड गुंडा है। पुलिस जांच में यह साफ हुआ कि साइबर ठगी की रकम को अफजल अपने साले मुईन के नाम पर टीकमगढ़ में इन्वेस्ट करता था। मुईन ने अपने साले अरमान के नाम से भी बड़ा निवेश किया है।

कैसे पुलिस तक पहुंची जानकारी

ऐशबाग थाना प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल और उनकी टीम जब मुईन खान की गिरफ्तारी के लिए टीकमगढ़ पहुंची थी, तब टीम में शामिल एक आरक्षक ने अपने बीजेपी से जुड़े रिश्तेदार को इसकी जानकारी दी। इस नेता ने तुरंत मुईन को सतर्क कर दिया, जिससे वह पहले ही फरार हो गया। इसके बाद केस से नाम हटवाने के लिए मुईन ने अपने करीबी दोस्त मोना जैन को थाना प्रभारी से संपर्क करने को कहा और फिर पूरी डील तय हुई।

रिश्वत सौदे की पक्की जानकारी मिलने के बाद कार्रवाई

सूचना पुख्ता होने के बाद एसीपी सुरभि मीना ने उच्च अधिकारियों को जानकारी दी और छापा मारा गया। छापे के दौरान रिश्वत के तौर पर दिए गए 500-500 रुपए के नोटों की 10 गड्डियां (कुल 5 लाख रुपए) बरामद कर ली गईं।

एफआईआर में क्या लिखा है

एफआईआर में दर्ज बयान के अनुसार, एएसआई पवन रघुवंशी ने पार्षद अंशुल जैन उर्फ मोना से 25 लाख रुपए की डील की थी। जांच में यह भी सामने आया कि टीआई जितेंद्र गढ़वाल, एएसआई मनोज सिंह और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह भी इस सौदे में शामिल थे।

रिश्वत की जब्ती की गई वीडियोग्राफी

जब्ती के दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाई गई। नोटों की सीरीज को जब्ती पत्रक में दर्ज किया गया। पूछताछ में पवन रघुवंशी ने स्वीकार किया कि रिश्वत थाना प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल के कहने पर ली गई थी।

थाना प्रभारी का बचाव

निलंबित थाना प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल ने कहा कि पवन ने बदले की नीयत से उन्हें फंसाया है। उन्होंने कहा कि जब कार्रवाई हुई, तब वह भोपाल में नहीं थे, बल्कि मुईन की गिरफ्तारी के लिए टीकमगढ़ गए हुए थे।

मीडिया से बचाने के लिए आरोपी को ऑटो में लाया गया

गिरफ्तार आरोपी अफजल खान को मीडिया की नजरों से बचाने के लिए पुलिस ने उसे ऑटोरिक्शा में अस्पताल और कोर्ट तक पहुंचाया। अदालत में एसीपी निहित उपाध्याय ने थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों पर दर्ज एफआईआर पेश की और जांच की अनुमति मांगी।

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