महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़े द्वारा ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, लेकिन महज 7 दिनों के अंदर ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया। इस घटना ने सोशल मीडिया और धार्मिक संगठनों में खूब चर्चा बटोरी। सबसे बड़ा सवाल जो उठ रहा था, वह यह कि क्या ममता ने यह पद 10 करोड़ रुपये देकर खरीदा था? इस मामले पर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब ममता कुलकर्णी ने खुद इस पर चुप्पी तोड़ दी है और सच्चाई बताई है।
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ममता कुलकर्णी का बड़ा बयान ‘10 करोड़ तो छोड़िए, 1 करोड़ भी नहीं है’
एक इंटरव्यू के दौरान जब ममता से सवाल किया गया कि क्या उन्होंने महामंडलेश्वर बनने के लिए 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया था? तो उन्होंने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “मेरे पास 10 करोड़ तो दूर, 1 करोड़ भी नहीं है।
ममता ने आगे बताया कि उनके सभी बैंक अकाउंट सरकार द्वारा सीज कर दिए गए हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने कहा, “मैंने गुरु को भेंट देने के लिए सिर्फ 2 लाख रुपये भी उधार लिए थे।” उन्होंने इस अफवाह को पूरी तरह गलत बताया कि उन्होंने पैसे देकर महामंडलेश्वर की उपाधि हासिल की थी।
क्या पैसों से खरीदा गया था महामंडलेश्वर पद?
महाकुंभ के दौरान महामंडलेश्वर की उपाधि मिलना बहुत बड़ी बात मानी जाती है, लेकिन ममता कुलकर्णी का नाम इस पद से जुड़ते ही विवादों ने घेर लिया। उनके अतीत और फिल्मी दुनिया से जुड़े होने के कारण कई संतों ने इस फैसले पर सवाल उठाए थे।
ममता ने अपने इंटरव्यू में कहा कि वह कई सालों से भारत से बाहर रह रही थीं और अब अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई में उनके तीन अपार्टमेंट हैं, लेकिन वहां कोई रहने वाला नहीं है, जिससे वे खराब हालत में पहुंच चुके हैं।
ममता ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहने और अध्यात्म की ओर बढ़ने में लगा दी है। उनका कहना था, “मैं संन्यास की राह पर चल रही हूं, लेकिन कुछ लोग इसे समझना नहीं चाहते।
7 दिन में महामंडलेश्वर पद से हाथ धो बैठीं ममता
24 जनवरी को किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दी थी। इसके बाद उन्होंने त्रिवेणी संगम में स्नान और पिंडदान भी किया था। उनका पट्टाभिषेक हुआ और उन्हें नया नाम ‘श्रीयामाई ममता नंद गिरि’ दिया गया।
लेकिन यह सफर ज्यादा लंबा नहीं चला। सिर्फ 7 दिन के अंदर ही अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजयदास ने उन्हें इस पद से हटा दिया।
किन कारणों से हुआ विवाद?
- फिल्मी बैकग्राउंड: कई संतों को यह बात पसंद नहीं आई कि एक पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री को महामंडलेश्वर बनाया जाए। उनके अनुसार, यह पद केवल उन साधु-संतों को मिलना चाहिए जो सालों तक तपस्या और सेवा में लगे रहते हैं।
- पैसों को लेकर विवाद: यह अफवाह तेजी से फैली कि ममता ने 10 करोड़ रुपये देकर यह पद खरीदा है। हालांकि, ममता ने इस आरोप को पूरी तरह गलत बताया है।
- अंदरूनी राजनीति: महामंडलेश्वर पद को लेकर किन्नर अखाड़े के अंदर भी गुटबाजी बढ़ गई थी। कई संत इस फैसले से नाराज थे, और इसका विरोध कर रहे थे।
- लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का निष्कासन: ममता के साथ ही महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी पद से हटा दिया गया। इससे विवाद और गहरा गया क्योंकि त्रिपाठी पहले से ही किन्नर अखाड़े की एक प्रमुख हस्ती थीं।
ममता कुलकर्णी की आध्यात्मिक यात्रा
ममता कुलकर्णी 90 के दशक की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री रह चुकी हैं। उन्होंने ‘आशिक आवारा,’ ‘करण अर्जुन,’ ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’ और ‘क्रांतिवीर’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया था। लेकिन अचानक उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ गईं।
उन्होंने संन्यास लेने के बाद पूरी तरह साधु जीवन अपनाने की कोशिश की। उनका कहना है कि “अब मेरी जिंदगी का एक ही मकसद है – अध्यात्म और ध्यान।”
अब क्या करेंगी ममता कुलकर्णी?
अब जब महामंडलेश्वर की उपाधि उनसे छिन चुकी है, तो सवाल यह उठता है कि ममता कुलकर्णी आगे क्या करने वाली हैं? इस पर उन्होंने कहा कि वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखेंगी और बाकी का जीवन संन्यास में ही बिताएंगी। हालांकि, इस पूरे विवाद ने उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ ला दिया है।
क्या ममता कुलकर्णी को दोबारा महामंडलेश्वर का पद मिलेगा? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि उनका नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
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